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दफा ७५५]
स्त्रीधन क्या है
और देखो-वसन्त कुमारी देवी बनाम कामाक्षा कुमारी देवी 32 I. A. 181; 33 Cal. 25; 10 C. W. N. 1; 7 Bom. L. R. 904; रामगोपाल भट्टाचार्य बनाम नरायगबन्द्र बन्दोपाध्याय 33 Cal. 315; 10 C.W.N.510; 3 Bom. L. R.201; 28 Cal. 811; तथा मनुका वचन देखो ६ अ० १६५ श्लोक, व्यवहार मयूख और स्मृति चन्द्रिकाका मत है कि गहने स्त्रीकी केवल पहिनने के लिये दिये गये हों वह स्त्रीधन नहीं है।
(५) भरणपोषणके खर्चके लिये-या उसके बदले में जो जायदाद स्त्री को दी गयी हो वह स्त्रीधन है । देखो देवलका वचन--
वृत्तिराभरणं शुल्कं लाभश्च स्त्रीधनं भवेत् । बृत्तिः ग्रासाच्छादनावशिष्ठम् ।
देवल कहते हैं कि 'वृत्ति' भरणपोषणके लिये जोधन मिले वह स्त्रीधन है। दुर्गाकुंवर बनाम तेजोकुंवर 5 W. R. M. A. b31 Mad. 166; 28 Mad. 1.
परंतु यह माना गया है कि बटवारेके समय जो जायदाद स्त्री या विधवाको मिले वह स्त्रीधन नहीं है। किन्तु भरणपोषणके खर्चका मिलाहुआ रुपया या जायदादमें से जो दूसरी जायदाद खरीदी जाय वह भी स्त्रीधन है, देखो--सुब्रह्मण्यमन चट्टी बनाम अरुणनचेटम चट्ठी 28 Mad.15 16 W. R. C. R.76.
परवरिशसे बचतका धन स्त्रीधन है-स्त्री द्वारा उस परवरिशकी जायदादकी आमदनीसे, जो उसके पतिके हिस्सेदारसे प्राप्त हुई हो, उसकी बचत स्त्रीधन है। गिरिजाबाई बनाम बाबूलाल 93 I. C. 624.
(६) कारेपनका धन-विवाहके पहिले क्वारेपनमें जो जायदाद स्त्रीके कब्जेमें रहीहो चाहे वह किसीकी दानकी हुई हो या किसी तरहसे भी मिली हो स्त्रीधन है, देखो-जोधनाथ सरकार बनाम बसन्तकुमार राय चौधरी 11 B. L. R. 286; 19 W. R.C. R. 264.
(७) प्रीतिदत्त--अर्थात् पतिका दिया हुआ पुरस्कार चाहे वह स्था. वर हो या जंगम स्त्रीधन है । इस विषयमें नारद कहते हैं कि--
भर्ना पीतेन यदत्तं स्त्रियै तस्मिन् मृतेऽपितत् सा यथा काम मश्नीयात् दद्यादा स्थावरादृते । नारदः