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दफा ७४८-७५१]
खर्च पानेका अधिकार आदि
दफा ७४९ फरीक मुकद्दमा
जो जायदाद विधवाके खर्चकी ज़िम्मेदार हो वह जितने वारिसोंके कब्जे में हो उन सबपर या उनमें से किसी एकपर विधवा भरणपोषणके खर्च पानेका दावा कर सकती है 4 Bom. H.C.A.C. 73; 9 B. L. R. 11-27.
जब कि विधवाके खर्चका बोझ किसी जायदादपर इक़रारनामे या अदालती डिकरीके द्वारा डाला गया हो तो उस जायदादके किसी भी हिस्से का कोई भी काबिज़ उस खर्चका देनदार होगा। यह ज़रूर है कि वह आदमी वह खर्च देकर दूसरे हिस्सेदारोंसे उनके हिस्सेके अनुसार वसूल कर ले। सारांश यह कि फरीक वे सब लोग बनाये जायँगे जो भरणपोषणके खर्च देने के ज़िम्मेदार हैं या ऐसे खर्चकी ज़िम्मेदार जायदाद जिनके कब्जे में है। दफा ७५० भरणपोषणके दावे में तमादी
कानून मियाद एक्ट नं० ६ सन् १९०८ ई० भाग १ दफा १२८ के अनुः सार, भरणपोषणके खर्वके बकायाका दावा बारह वर्षके अन्दर होना चाहिये। इससे स्पष्ट है कि भरणपोषणके खर्चकी रकम उतनी ही वसूलकी जासकती है जो बारह वर्षकी बाकी हो, ज्यादाकी नहीं, देखो--7 Mad. H. C. 226; 2 Mad. H. C. 36.
भरणपोषणका खर्च पहिले पहल मांगने के बारेमें कानून मियादके अनुसार कोई बाधा नहीं पड़ती, वह हर समय मांगा जासकता है । मगर जब एक दफा ऐसा खर्च मांगा गया हो और उसके देनेसे इन्कार कर दिया गया हो तो इनकार करनेकी तारीखसे बारह वर्षके अन्दर वह दावा.अवश्य अदालत में दाखिल कर देना ज़रूरी है, क्योंकि यदि ऐसा न किया गया तो फिर तमादी हो जायगी, देखो उक्त कानून मियाद Art. 129-132; 5 Bon 68. दफा ७५१ फौजदारी अदालतमें भरणपोषण का दावा
जावता फौजदारी एक्ट नं०५ सन् १८६८ ई० के चेष्टर ३६ के अनुसार अपने भरण पोषणका खर्च वसूल करनेके लिए हिन्दू स्त्री फौजदारी अदा. लतमें अपने पतिपर दावा कर सकती है। मजिस्ट्रेटका हुक्म दीवानी अदालत के अधिकारमें बाधा नहीं डालता देखो-30 Mad. 400..