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खर्च पानेका अधिकार आदि
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दफा ७४४-७४७ ]
दफा ७४५ विधवा के क़ब्ज़े की जायदाद
जिस जायदादपर विधवाके भरण पोषण के खर्चका बोझ हो और वह विधवा के कब्जे में हो, और यह बात वारिस और खरीदारको मालूमहो तो वह उस विधवाके खर्चका उचित प्रबन्ध किए बिना उस जायदादको विधवाके नब्जेसे नहीं लेसकता, देखो - 18 Bom. 452; 8 Bom H. C. A. C. 98 विधवाका क़ब्ज़ा होना ही इस बातका प्रमाण है कि उस जायदादपर उसके भरण पोषणके खर्चका बोझ है ।
जब कोई हिन्दू विधवा, अपनी परवरिशके लिये मुश्तरका खान्दानकी जायदाद पर क़ाबिज़ होती है, तो उसका क़ब्ज़ा मुखालिफ़ाना नहीं होता और वह बवजह क़यामत अपना अधिकार नहीं प्राप्त कर सकती । भगवानी कुंवर नाम मोहनसिंह 23 AL. J. 589; ( 1925 ) M. W. N. 421; 41 C. L. J. 591; 22 L. W. 211; 88 I, C. 385; 29 . W. N. 1037; A. I. R. 1925 P. C. 132; 49 M. L J. 55 (P. C.)
दफा ७४६ जायदादकी बिक्री के समयपर विघबाका हक़
जो जायदाद विधवा के भरणपोषणके खर्च की ज़िम्मेदार हो उसकी बिक्री के रुपयेपर भी विधवाका वही हक़ बना रहता है, देखो - 6 Mad, 130; 2 Agra 134; 2 Bom. 494.
अगर अपने पास रेहन रखी हुई कोई जायदाद, कोई वारिस भरणपोषणके खर्चके लिये देदे और पीछे वह जायदाद रेहन करनेवाला छुटा ले जाय तो उससे मिले हुये रुपयेपर विधवाका हक़ होगा, देखो - गंभीरमल बनाम हमीरमल 21 Bom, 747.
कब पैदा होता है ?
दफा ७४७ भरणपोषण के दावाका हक ज्योंही भरण पोषणका उचित खर्च देना रोक दिया जाय उसी समय उस खर्च के पानेका दावा करनेका अधिकार प्राप्त होजाता है । 'खर्च देना रोक दिया गया है' यह बात इस तरह पर साबित की जा सकती है कि वारिसोंने खर्च देने से इनकार किया तथा अन्य प्रकारसे भी यह बात साबित की जा सकती है, देखो - मल्लिकार्जुनप्रसाद नैडू बनाम दुर्गाप्रसाद नैडू 17 Mad. 362; 21 I. A. 151; 24 Mad. 147, 5 C. W. N. 74; 2 Bom. L. R. 945; 18 Mad. 403; 17 Bom. 45; 36 Bom. 131; 13 Bom. L. R. 1023; 6 I. A. 114.
पीछेका खर्च वारिस के पास बाक़ी पड़ा है और वह हीला हवाला करता है या नहीं देता तो यह सूरतभी खर्च रोके जाने का प्रमाण है, देखो - 21 I. A. 151; ऊपरकी नज़ीरें देखो । भरणपोषणका खर्च पानेका हक़ रखने