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भरण-पोषण
[बारहवां प्रकरण
उन सूरतोंके लिये परिमित नहीं है, जिनमें कि उनके प्रेमीकी जायदादका कोई वारिस न हो और अन्यथा जायदाद सरकारमें ज़ब्त हो जानेको होरामराजा थेवार बनाम पायामल 22 L. W. 710; 90 I. C. 983; 48 Mad. 806; A. I. R. 1925 lad. 1230; 49 M. L J. 548. दफा ७३४ भरण पोषण मांगने वालेके पास जायदाद होना
जब स्त्री या विधवा, या दूसरा कोई आदभी जो भरण पोषणका खर्च पानेका अधिकारी है कोई अपनी एसी जायदाद रखता हो कि जिसकी आमदनीसे उसका भरण पोषण भली भांति हो सकता हो तो वह अपने भरण पोषणका खर्च पानेका हक़ काममें नहीं ला सकता, देखो--शिंद्धेश्वरी बनाम जनार्दन सरकार 29 Cal. 557-576; 6 C. W. N. 530-547; चन्द्रभागाबाई बनाम काशीनाथ विट्ठल 2 Bom. H. C. 323; 4 N. W. P 63; 2 Bom. 573; 33 Bom 50; 10 Bom. L. R. 770; 14 Bom. 490.
भरण-पोषणके खर्च की रकम निश्चित करते समय अदालत वैसा खर्च पानेवालेके पास अगर कोई जायदाद हो तो उसको भी हिसाबमें रखेगी-- महेश प्रतापसिंह बनाम दिगपालसिंह 21 All. 232. गहने, या दूसरी कोई ऐसी जायदाद कि जिससे कोई आमदनी नहीं होती अदालत हिसाबमें नहीं लेगी--शिवदेयी बनाम दुर्गाप्रसाद 4 N. W. P. 63, 10 Cal. 638. अगर पहिले कभी भरण पोषणका कुछ खर्च मिला हो तो चाहे वह सब खर्च हो चुका हो तो भी हिसाबमें लिया जायगा, देखो-जितेन्द्रमोहन टैगोर बनाम गणेन्द्रमोहन टैगोर ( 1872 ) I. A.Sup. Vol. 47 at P. 82; 9 B. L. R. 377-413; 18 W. R. C. R_359; सावित्री बाई बनाम लक्ष्मीबाई (1878)2 Bom. 573.
विधवा सिर्फ पतिके हिस्सेसे खर्च पायेगी--अगर पतिकी अपनी कमाई की अलग जायदाद उसकी विधवाके भरण-पोषणके खर्चके लिये काफ़ी हो तो विधवा अपने पति की उस जायदादमें से जो कोपार्सनरकी शिराकतमें हैं अपने भरण-पोषणका खर्च नहीं ले सकती यह राय इलाहाबाद हाईकोर्टने शिवदेयी बनाम दुर्गाप्रसाद ( 1872) 4 N. W. P. 6.3-72. के मुकदमे में प्रकटकी थी परन्तु अपनी इस रायका कोई कारण नहीं बताया। मुश्तरका जायदादमें पति का जितना हिस्सा हो उसीकी श्रामदनीले विधवाको खर्च दिया जायगा-- महादराब केशव तिलक बनाम गंगाबाई 2 Bom. 639; 11 Bom. 199; 27 Mad, 45-59; 4 N. W. P. 63-73. अगर वह आमदनी विधवाके खर्चके लिये काफ़ी न हो तो वह हिस्सा बेचकर उसके भरण पोषणका प्रबन्ध किया जायगा।