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- स्त्रियोंके अधिकार
[ग्यारहवां प्रकरण
(३) बम्बई हाईकोर्ट के फुलबेंचने, गान्धी मगनलाल मोतीचन्द बनाम यादववाई 24 Bom. 1927 1 Bom. L. R. 574 के मामले में यह माना कि मुजरात प्रान्तमै अपनी क्वारी पोती की जायदाद मनकूला और गैरमनकूलाकी पारिस जब दादी होती है तो वह उस जायदादकी पूरी मालिक होती है, क्योंकि वह दादी बहैसियत दादीके वारिस होती है न कि दादाकी विधवाकी हैसियतसे इस लिये उस दादीके मरने के बाद जायदाद दादी के वारिस को मिलेगी, न कि पोतीके वारिसको।
मिस्टर मेनसाहेबने अपने हिन्दूलॉके सातवें एडीशन पेज ८२६, ८२७ में यह जाहिर किया है, कि जुडीशलकमेटीने उक्त फुल बेंचकी रायको, शिवशङ्करलाल बनाम देवीसहाय 30 1. A. 202; 25 All. 468 और लालशिव प्रतापसिंह बहादुर बनाम इलाहाबाद बैंक के मामलेमें रद कर दिया। परन्तु उसका ऐसा समझना ठीक नहीं है, क्योंकि बम्बईका यह फैसला बम्बई प्रांत के खास कानूनके आधारपर किया गया है। इस कानूनके अनुसार दादी बहैसियत दादीके वारिस होती है, न कि बहैसियत दादा की विधवाके । मिताक्षरालॉ के अनुसार भी यही बात है। इस लिये गोत्रज सपिण्डकी विधवाओं की तरह दादीके हक़ महदूद नहीं होते । बक्ति बम्बईके लॉ के अनुसार दादी स्वयं गोत्रज सपिण्ड मानी जाती है; इस लिये उस कानूनके अनुसार बहनों और भतीजियोंकी तरह वह भी जायदादकी पूरी मालकिन होती है।
बम्बई में लड़की उत्तराधिकारसे पायी हुई जायदादकी पूरी मालकिन होती है। इसपर उक्त जुडीशल कमेटी के फैसले का कोई असर नहीं पड़ता ( 30 Bom. 229 ) इस लिये माके विषयमें भी ऐसाही समझना चाहिये।
यह माना गया है कि जो स्त्रियां आखिरी पूरे मालिक के खानदान में विवाहके सम्बन्धसे मेम्बर नहीं हुई हैं वह सब जब उत्तराधिकारसे जायदादर पाती हैं तो पूरे अधिकारसे पाती हैं-32 Bom. 263 9 B. L. R. 1187.
बम्बई प्रांतमें स्त्रियां आम तौरपर जायदादकी पूरी मालिक होती हैं और जिन स्त्रियोंका हक़ सिर्फ अपनी परवरिश पानेका जायदादपर होता है वह इसमें शामिल नहीं हैं, जैसे विधवा, मा, भिन्न शाखाके सपिण्ड आदि। - जब कोई स्त्री बहैसियत विधवा, या मा या गोत्रज सपिण्डकी स्त्रीके वारिस होती है तो जायदादमें उसका अधिकार सीमाबद्ध होता है, देखोगजाधर भट्ट बनाम चन्द्रभागाबाई 18 Bom.6907 तुलजाराम मुरारजी बनाम मथुरादास 5 Bom. 662. दफा ६८४ वारी लडकी ___कारी बेटी जो जायदाद उत्तराधिकारमें अपनी मासे पाती है वह उस बेटीके मरने के बाद ( खासकर मद्रास प्रांतमें ) उस जायदाद उत्तराधिकार