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स्त्रियोंके अधिकार
[ ग्यारहवां प्रकरण
परघरिशके लिये रख छोड़े । नीचे की अदालतको ज्ञात हुआ कि वयनामा जायज़ था और मावज़ा उचित था। तय हुआ कि वयनामा जायज़ है और उसकी पाबन्दी भावी वारिसों पर है। इसके लिये कोई सख्त पाबन्दी नहीं है कि विधवा अपने भावी जीविकाके लिये जायदादका इन्तक़ाल न कर सके । प्रत्येक मामला उसकी परिस्थिति पर निर्भर है । जब कोई अन्य जायदाद न हो और उस जायदाद की आमदनी से विधवा की परवरिश न हो सकती हो, तो वह उस जायदाद को मुन्तक़िल कर सकती है । कुथा लिंगम मुद्दालियर बनाम सनमुगा मुद्दालियर 23 L. W. 373; ( 1926) M. W. N. 274; 92 I. C. 389, A. I. R. 1926 Mad. 468; 50 M. L. J. 234.
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पञ्जाब-- मेहर ( Dower ) जब किसी विधवा को कोई जायदाद, मेहर की जगह पर, उसके पति के वंशजों के बिना किसी ऐतराज प्राप्त हुई हो, तो वह विधवा की स्वयं उपार्जित जायदाद हो जाती है। इस प्रकार विधवा के हक़ में मुन्तक़िल की हुई जायदाद के सम्बन्ध में, यदि वह विधवा किसी प्रकार का इन्तक़ाल करे, तो उसके वंशज उस इन्तक़ाल पर कोई ऐतराज या किसी प्रकार का विरोध नहीं कर सकते । अब्दुल मजीद खां बनाम मुसम्मात साहिबजान A. I. R. 1927 Lahore 29.
दफा ७०१ खरीदार या रेहन रखने वाले के कर्तव्य तथा बारसुबुत
हनूमानप्रसाद पाण्डे बनाम मनराज कुंवरि (6M. I. A. 393 ) के मामले में और दूसरे मुक़द्दमोंमें जो सिद्धान्त निश्चितदुये हैं कि 'ज़रूरत' क्या होती है यानी ज़रूरत में कितनी रक्रम शामिल है और बच्चे ( नाबालिग़ ) वारिसके मेनेजरसे व्यवहार करनेवाले के क्या कर्तव्य हैं तथा बारसुबूत का बोझ किसपर है वही सिद्धान्त विधवाओं और सीमाबद्ध स्त्रीसेभी लागू होंगे. देखो - 19 I. A 196; 14 All. 420; 23 Cal. 766.
उस व्यक्ति को जिसके हक़में इन्तक़ाल किया जाता हो चाहिये कि वह न केवल इस बात से ही इतमीनान करे कि श्रावश्यकता है बल्कि वह यह भी समझ ले ऐसी आवश्यकता है कि वह जो बिना कर्ज लिये रक़ा नहीं हो सकती । रमन बनाम बराती 270 C. 329; 85 I. C. 489; AIR 1925 Oudh 557.
कानूनका यह सिद्धान्त है कि उस अवस्थामें जब कि जायदाद परि मिति अधिकारी से खरीद की जाय, तो यह उस व्यक्तिका कर्तव्य है कि जिसके हमें इन्तक़ाल किया जाता है कि वह इस बातको जानें कि इन्तक़ाल जायज़ है और उन परिस्थितियों को स्पष्ट करे, जिनके द्वारा परिमिति अधिकारी को उसके इन्तक़ालका पूर्ण अधिकार प्राप्त है, केवल यह बातकी नाबालिन भाषी वारिसका पिता, उसके प्रतिनिधिकी हैसियत से इन्तक़ालमें शरीक़ था और उसकी आजी ( Grand Mother ) भी मौजूद थी, सबूतका भार