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दफा ७२३]
खर्च पानेका अधिकार आदि
(८) पुत्रवधू-देखो दफा ७२६
(R) बिन व्याही बहिन-बिन व्याही बहिनका जबतक विवाह न हो भाई उसके भरण पोषणके खर्चका पाबन्द है । यदि बापकी जायदाद उसे उत्तराधिकारमें किसी प्रकारले मिलीहो तो उससे वह अपना वैसा खर्चलेगी।
(१०) उत्तराधिकारसे बंचित वारिस-देखो दफा ६५१ से ६६२.
(११) सौतेली माता-सौतेला पुत्र अपनी सौतेली माताका भरण पोषणका खर्च देनेके लिये ज़ात खाससे पावन्द नहीं है हां यदि उसमें वाप की जायदाद पायी हो तो वह सौतेली माता उस जायदादसे अपना वैसा खर्च ले सकती है, देखो-9 Bom. 279; 5 Boin. 99. दफा ७२३ पत्नीके भरण पोषणका खर्च
हिन्दू धर्मशास्त्रोंका मत है कि विवाहिता स्त्री जो सब प्रकारसे योग्य हो, पतिकी अर्धाङ्गिनी होती है, और उससे उत्पन्न संतान पतिको और पति के पितरोंको तृप्त करती है तथा पिण्डदान और जलदान देनेका अधिकार रखती है इसलिये पत्नीकी सब प्रकारकी रक्षा करना पतिका कर्तव्य माना गया है। याज्ञवल्क्य कहते हैं कि
लोकानंत्यंदिवः प्रातिः पुत्रपौत्र प्रपौत्रकैः यस्मात्तस्मास्त्रियःसेव्याः कर्तव्याश्वसुरक्षिताःप्राचा०७०
आज्ञा संपादनीदक्षां बीरगं प्रियवादिनीस् त्यजन्दाप्यस्तृतीयांश मद्रव्योभरणं स्त्रियः। प्राचा० ७६
जिससे, पुत्र पौत्र और प्रपौत्रसे वंशका विस्तार और अन्तमें स्वर्गकी प्राप्ति होती है उसका मूल स्त्री है इसीलिये स्त्रीका सेवन करना तथा उसकी सब तरहसे हमेशा रक्षा करना चाहिये । यह भी कहा है कि जो पुरुष, आज्ञाकारिणी, चतुरा, पुत्रवती, मधुर भाषिणी स्त्रीको त्याग देता है उसको राजा दण्ड दे, और पतिके धनमेंसे तीसरा भाग निकालकर उस स्त्रीको दे. यदि पति निर्धन हो तो स्त्रीको भरण पोषणका खर्च दिलावे ।
_अपने पतिसे, पत्नीको भोजन, वस्त्र, रहनेका स्थान, और अपनी हैसियतके अनुसार धार्मिक और अन्य कर्तव्य कर्मों का खर्च पानेका अधिकार है, देखो-सिधिंगप्पा बनाम सिदावा 2 Bom. 624-6287 S. C. 2 Bom. 634; मित्यकिशोरीदासी बनाम जोगेन्द्रनाथ मल्लिक 5 I. A. 55, अपने ससुर की जायदादमें से अपने भरण पोषणका खर्च पानेका अधिकार स्त्रीको हो