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स्त्रियोंके अधिकार
[ग्यारहवां प्रकरण
और जायदाद कुर्क व नीलाम हो सकती है; देखो-नाथाहरी बनाम जामनी 8 Bom. H. C. A. C. 37; 5 Mad. 5.
(३) अगर किसी दौरान मुक़दमे में कोई हिन्दू मुद्दालेह मर जाय, और उसकी जगहपर उसका वारिस चाहे वह स्त्री हो या मर्द वारिस बनाया गया हो और उस वारिसके मुकाबिलेमें डिकरी हुई हो, तो वह डिकरी तिर्फ पहले के असली मुद्दालेहकी छोड़ी हुई जायदाद तकही पाबंद करेगी वारिस की ज़ात या दूसरी जायदाद पाबंद नहीं हो सकेगी। दफा ७१६ जायदादके वापिस लेनेका दावा
अगर जायदादका कोई हिस्सा दूसरोंके हाथमें चला गया हो उसे वापिस लेने के लिये विधवा या दूसरी सीमाबद्ध स्त्री अदालतसे वापिस ले सकती है। अगर वह ऐसा दावा न करे और जानबूझकर या बिना जाने उस जायदादको अपने कब्जे में न ले तो उसके मरने पर उसके रिवर्जनर अथवा रिवर्जनरके रिवर्जनर भी अदालतसे वापिस ले सकते हैं देखो-21 W. B. C. R. 444; 14 W. R. C. R. 322. दफा ७५७ रिवर्ज़नर डिकरीके पाबंद होगें
(१) जब कोई डिकरी सीमाबद्ध स्त्री मालिकपर हुई हो तो रिवर्जनर उसके पाबंद होंगे, लेकिन अगर यह साबित किया जाय कि उस मुक़द्दमे में हकीयतका विचार पूरी तरह पर नहीं किया गया था, या किसी खास वजह से उस डिकरी पर उन किया जा सके तो पाबंद नहीं होंगे देखो-9 M. I. A. 5433; 11 I. A. 197; 11 Cal 186%; 20 I. A. 183; 21 Cal 8; मदन मोहनलाल बनाम अकबरखां 28 All. 241; 19 All. 357; 8 All. 429; 1 All 283.
विधवाके खिलाफ डिकरीकी तामील, उसके पतिकी जायदाद पर जो भावी वारिसके कब्जेमें हो, होती है, यदि कर्ज जिसकी बिना पर नालिश की गई है, इस प्रकारका हो कि उसकी पाबन्दी जायदाद पर होती हो। बहादुरसिंह बनाम गंगाबक्शसिंह देखो-84 I. C. 39 4. 28 P. C. 80 A. I. R. 1925 Odh. 272.
(२) अगर किसी सीमाबद्ध स्त्रीके ज़ाती मामले में कोई अदालती फैसला हुआ हो तो उसके रिवर्जनर पाबंद नहीं होंगे वृजलाल बनाम जीवनकृष्ण 26 Cal. 285; अगर स्त्री कोई कानून विरुद्ध कामकरे तो उसके रिवर्ज़नर पाबंद नहीं होंगे, देखो-- 15 C. W. N. 857.
(३) अगर जायदादके फ़ायदेके लिये उसने कोई काम किया हो तो जायदादकी ज़िम्मेदार होगीः देखोलालजी लहाय बनाम गोवर्द्धनझा 1.5 C. W.N.859.