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दफा ७०६ ]
स्त्रियोंकी वरासतकी जायदाद
जब कि किसी विधवाकी जायदादका क़ब्जेदार, उसकी ज़मीदारी को बेच डाले और परिणाम स्वरूप, जो त्यक्त सत्त्व ( साकितुलमिल्कियत ) का अधिकार उसके हक़में प्राप्त हो, तो वह उतराधिकार से प्राप्त होनेके कारण, उसकी जायदादका एक अन्श नहीं कहा जासकता । अतएव यह नहीं माना जा सकता, कि इस प्रकारकी त्यक्त सत्त्व के बाक़ी लगानकी डिकरीकी अदाई के द्वारा, परिमित अधिकारी, खान्दानी जायदादका कोई अन्श बचा रहा है । इस लिये इस प्रकारके बाक़ी लगानकी श्रदाई क़ानूनी आवश्यकता नहीं है । ईश्वरीप्रसाद बनाम बाबूनन्दन शुक्ल 47 All. 563 I. R, 64.291; 88 1. C. 193; A. I. R. 1925 All. 495.
(४) खर्च - ज़रूरी मुक़द्दमेका वाजवी खर्च क़ानूनी ज़रूरत है 6 Bom. L. R. 628. ऐसे मुक़द्दमेका खर्च जो जायदादको फिर हासिल करने के लिये या जायदादकी रक्षाके लिये या अपसे हलकी रक्षा के लिये दायर किया गया हो क़ानूनी ज़रूरत है । करीमुद्दीन मुन्शी बनाम गोविन्द कृष्ण नरायन 36 I. A. 138; 31 All 497; 13 C. W. N. 1117,11 Bom. L. R. 911; 31 Cal. 433, अजमद अली बनाम मनीराम 12 Cal. 52. और दूसरे ज़रूरी क़ानूनी खर्च जैसे वरासतकी सार्टिफिकेटका हासिल करना क़ानूनी ज़रूरत है; देखो- -36 Cal. 753,
किसी स्त्रीका व्यर्थ मुक़दमेबाजीके लिये जो खर्च पड़े वह क़ानूनी ज़रूरत हरगिज़ नहीं है और उसमें वह जायदादका इन्तक़ाल नहीं कर सकती, देखो - 4 Ail. 532,
(५) मरम्मत आदिके खर्च - जायदादकी रक्षा और उसके बचाये रखने के लिये जो खर्च हो क़ानूनी खर्च है, देखो - सूर्यप्रसाद बनाम कृष्णप्रताप बहा डुर साहेब 1 N. W, P. 46. मरम्मतका खर्च या दूसरे ज़रूरी खचोंके लिये जो जायदाद के लाभके लिये हों: 10 Cal, 823.
यह माना गया है कि यद्यपि सड़कका कर ( Road cess ) पब्लिक डिमान्डस् रिकवरी एक्टके अनुसार देना लाज़मी है इसके न देनेसे स्त्रीपर जो क़र्ज हो जाय उसके अदा करनेके लिये वह जायदाद नहीं बेच सकती: देखो - श्रीमोहनझा बनाम ब्रजबिहारी मिश्र 36 Cal, 753. परन्तु आम तौर से ऐसी राय है कि ऐसा नहीं होना चाहिये ।
(६) स्त्रीके भरण पोषणका खर्च - अपने भरण पोषणके खर्च के लिये ( अगर आमदनी जायदादकी काफी न हो ) या ऐसे धार्मिक रसूमके खर्च के लिये जिनका करना उस स्त्रीका परम कर्तव्य है, देखो- - 5 Bom. 450; 12 Cal. 52, 5 N. W. P. 197.
खानदानके आश्रितोंका भरण पोषण - अपने खानदानके उन आश्रितों के भरण पोषण के लिये जिनका भरण पोषण उसके पति या पिछले पूरे मालिक