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विवाह
[ दूसरा प्रकरण
तरफके नज़दीकी रिश्तेदार, उसके बाद माता कन्यादानकी अधिकारिणी है । कन्यादानका कर्तव्य पालन, शास्त्रोंकी अनिवार्य श्राज्ञा है व्यासस्मृति श्र० २ श्लोक ६ में विशेष यह कहा गया है कि भाईके न रहनेपर चाचा और चाचा के न रहने पर कुलका कोई पुरुष कन्यादान करे। यदि कोई न रहा हो तो कन्या स्वयं अपना पति बनालेवे, तथा नारदस्मृति १२ विवाहपादके श्लोक २० २१ देखो; मनु अ० ६ श्लो० ६१ में कहते हैं कि पिता दिसे न दी हुई कन्या विवाहकालमें यदि पतिको स्वयं वर के तो उसका कोई पातक नहीं लगता ।
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चोरीके अपराधमें दण्ड पाये हुए पिताके कन्यादानका अधिकार क्या उक्त दण्ड पानेसे जाता रहता है ? बंबई हाईकोर्टने कहा कि केवल दण्ड पानेसे उसका ऐसा अधिकार नहीं जाता और यह नहीं माना जा सकता कि सिर्फ चोरीके अपराधमें दण्ड पानेके कारण कोई आदमी अपनी स्त्री, बच्चों से फिर गृहस्थाश्रमी नहीं बन सकता, अपनी कन्याके विवाहके लिये वर पसंद करने में पिताका अधिकार अवश्य रहेगा देखो - नानकभाई बनाम जनार्दन 12 Bom. 110, 119.
यह स्पष्ट है कि दूसरे मामलोंके वलीसे विवाहके वलीमें भेद है, जानकीप्रसाद अगरवाल 2 Boulnoi,s 114 के मुक़द्दमे में कन्यादानका अधिकार माताकी अपेक्षा भाईका अधिक माना गया है । अदालतने कहा कि पिताके बाद कन्याके लिये मुनासिब वर चुननेका अधिकार पितामह, भाई, और की तरफके रिश्तेदारोंका क्रमसे है और उनके पीछे माताका है । परन्तु मदरास दाईकोर्टने याज्ञवल्क्यके श्लो० १-६३ का अर्थ ऐसा किया है, कि जिससे माताका स्वाभाविक अधिकार कुछ दूर तक माना गया है अदालतने कहा कि दूसरे रिश्तेदारोंने कन्याके लिये जो वर पसंद किया हो और माताका पसंद किया हुआ वर उससे अच्छा हो तो माताकी बात मानी जायगी देखो- नमः शिवाय पिल्ले बनाम अन्नामी अम्मल 4 Mad. H, CR.344.
जब कोई बली कन्याका ऐसा विवाह करने लगा हो, जो कन्याके लिये हानिकारक हो तो अदालत को अधिकार है, उसमें हस्तक्षेप ज़रूरी समझकर करे । विशेषतः जब यह मालूम हो कि वली वह विवाह अनुचित नियतसे या स्वार्थ वशकर रहा है तब श्रवश्यही हस्तक्षेप करेगी श्रीधर बनाम हीरालाल 12 Bom. 480; 12 Bom. 110 हरेंद्रनाथ बनाम विंदारानी 2 Cal. W. N. 621; लेकिन जब वली कन्याका बाप हो, तो अदालत बहुतही खास सूरतमें हस्तक्षेप करेगी 12 Bom 480 धर्मशास्त्र में विवाह परम कर्तव्य माना गया है भाइयोंके लिये भी आज्ञा है कि वह बहनोंका विवाह करें देखो वैकुंठनाथ अम्मनगर बनाम कल्लीपीरं पैयनगर 23 Mad. 512; 26 Mad. 497.
कन्यादानमें माताका दरजा सबसे पीछे रखा गया है पिताके रिश्तेदारों जब कोई दोष पाया जाय तो उस वक्त माता कन्यादान करेगी । माता अपनी