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उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
بی سی سی میں بی بی سی سی ای
ہو تو بی
بی سی کی بھی
जायदाद पावेंगी, दोनों क्वारी लड़कियोंको पहिले जायदाद मिलेगी, यानी विद्या और प्रभाको। जब इन दोनों में से एक मर जायगी तो दूसरी लड़की उसका हिस्सा लेगी। ऐसा मानो कि पहिले विद्या मर गयी तो उसका हिस्सा प्रभाको मिलेगा उस समय प्रभा पूरी जायदादकी मालिकिन होजायगी। और जब दूसरी क्वारी लड़की भी मरजायगी यानी प्रभाके मरनेपर जायदाद ब्याही
और गरीब लड़कियोंको मिलेगी। उनमें भी सरवाइवरशिपका हक़ लागू रहेगा और जब वह दोनों लड़कियां मर जायेंगी तब जायदाद ब्याही और अमीर लड़कियोंको मिलेगी। उनमें भी सरवाइवरशिपका हक़ रहेगा इसलिये जब आखिरी लड़की मरेगी तब लड़कीके लड़केका या लड़कोंका हक़ जायदाद प्रानेका पैदा होगा। लड़कीके या लड़कियोंके जीतेजी नहीं होगा।
(२) ऐसा मानों कि विजय दो कारी लड़कियोंको छोड़ कर मर गया उसके मरनेके बाद एकका विवाह हो गया और वह कुछ दिनोंके बाद मर गयी, मगर दूसरी लड़कीका विवाह नहीं हुआ था। तो अब सरवाइवरशिपके हकके अनुसार इस ब्याही हुई लड़कीके मरमेपर उसका हिस्ला कोरी लड़की को मिलेगा और उस वक्त वह अकेली अपनी जिन्दगी भर जायदादपपर क्राबिज़ रहेगी। जब वह मरेगी तब दूसरी ब्याही-गरीब लड़कियां (अगर कोई हों) जायदाद पावेंगी। उनके बाद ब्याही और अमीर लड़कियां । अगर च्याही लड़की एक लड़का छोड़ कर मर गयी हो तो क्वारी लड़कीके जीते जी वह जायदाद नहीं पावेगा।
(३) ऐसा मानों कि विजय दो कारी लड़कियोको छोड़ कर मर गया। उसके मरनेपर एकका विवाह हो गया। क्वारी लड़की पहिले मर गयी। अब उसका हिस्सा सरवाइवरशिपके अनुसार ब्याही लड़कीको मिलेगा। नजीरे देखो-दौलतकुंवर बनाम बरमादेवसहाय (1874 ) 14 B. L. R. 246 note; 22 W. R. C. R. 54; कहमनचियर बनाम डोरासिंहटेवर ( 1871) 6M. I. I. C. 330, 332, दुलारी बनाम मूलचन्द 32 All. 314 और देखो-मिस्टर मेनके हिन्दूलॉकी दफा 557; दिवेलियन हिन्दूलॉका पेज 3723 38 All. 111 ( 1916 ) यदुवंशीकुंवर बनाम महिपालसिंह वाले मामले में यह बाकियात थे-एक बदे हुए खानदानका हिन्दू मरा। उसने अपनी विधवा और चार लड़कियां छोड़ी इनमेसे एक क्वारी थी तीन विवाहिता । विधवाके मरने पर क्वारी लड़कीने तीन विवाहिता लड़कियोंपर अपने बापकी जायदाद दिला पानेका दावा किया । मगर दौरान मुक़द्दमे में वह क्वारी लड़कीमर गयी । पीछ तीनो लड़कियोंने दरखास्त दी कि अब हम वारिस उस जायदादकी हैं। अदालतने मुकद्दमा खारिज कर दिया। इसके फैसलेके कुल पढ़नेसे यह जाहिर होता है कि अदालतने सबसे पहिले वारी लड़कीका हक्क बापकी जाय द्वादमें माना पीछे प्रतिवादिनियोंका।