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रिवर्जनर
[दसवां प्रकरण
कब्ज़ा बारह वर्षका हो चुका है तो भी विधवाके मरनेकी तारीखसे बारह वर्ष के अन्दर जायज़ रिवर्जनर जायदादपर क़ब्ज़ा दिला पानेका दावा करसकता है, देखो-सीमावद्ध स्त्रीकेमरनेपर दावाकरना-लिमीटेशन एक्ट 9 of 1908 Schel 1 art 141; 26 I. A. 71; 23 Bom. 7:25; 14 Bom, 4827 34 Cal. 329, 18 Bom. 216% 19 All. 357; 14 All. 156; 25 All. 4353 23 AII. 448: 20 All. 42; 26 Mad. 143, एसे आदमीका कब्ज़ा जो जायज़, पारिस नहीं हैं आदि--( 1904) 8 C. W. N. 535.
यह कायदा, कानून मियादका उस स्त्रीसे भी लागू होगा जो एक स्त्री के मरने के बाद रिवर्जनर हो-रामदेयी बनाम अबू जाफर 97All. 494; तथा उस व्यक्तिसे भी लागू होगा जो दो स्त्रियों के पश्चात्का रिवर्जनर हो-25 All. 435; 13 Mad. 512; 14 Bom. 512.
अगर किसी विधवाने जायदादका इन्तकाल कर दिया हो और वह जायदाद दूसरेके कब्जे में हो तो जिस समय विधवा मरे उसी वक्त रिवर्जनर जायदाद पाने का दावा करसकता है हनूमानप्रसाद सिंह बनाम भगवती प्रसाद 19 All. 357. दफा ६७६ इन्तकालके जायज़ और नाजायज़ होनेका सुबूत
(१) सीमावद्ध स्त्री मालिकके किये हुये इन्तकालके जायज़ या नाजायज़ होनेका सवाल जब किसी मुक़द्दमे में उठे तो उस श्रादमीको जिसके हक़ में इन्तकाल किया गया है साबित करना होगा कि कानूनी ज़रूरतके लिये वह इन्तकाल किया गया है या उसने नेक नीयतीसे इस विषयमें जांच की थी, और समझदार श्रादमीकी तरह पर वह यह जानकर सन्तुष्ट होगया था कि वास्तव में ऐसी ज़रूरत थी, देखो-धरमचन्द लाल बनाम भवानी मिसरा.
24I. A. 183:25 Cal. 189; 1C W. N. 697; महेशर बरुशासिंह बनाम रतनसिंह 23 [ A. 57; 23 Cal. 266, 19 W. RC R. 79; 191. A. 1968 14 All. 436; 6 Bom. L. R. 628; 15 C. W. N. 793.
यदि उसने ईमानदारीसे ठीक जांच करली हो तो इन्तकालसे पहिलेके बुरे इन्तज़ामका असर उसपर कुछ नहीं पड़ेगा और इस बात का भी कुछ असर नहीं पड़ेगा कि वह कानूनी ज़रूरत विधवाके बुरे कामसे पैदा हुई थी या नहीं--6M. I. A. 393. : अगर उसने ऐसी ठीक जांच करली हो तो यह देखने की कुछभी ज़रूरत नहीं है कि जो रुपया उसने दिया वह उस कानूनी ज़रूरत में लगाया गयाथा या नहीं और न यह मालूम करना उसका काम है कि जो रुपया उसने दिया