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उत्तराधिकार
( ११४ ) मा नानाके लड़केके लड़केके लड़केका लड़का ( ११५ ) माके परनाना के लड़के के लड़के के लड़केका लड़का ( ११६ ) माके नानाकी लड़कीके लड़केका लड़का
( ११७ ) माके नानाके लड़केकी लड़कीके लड़केका लड़का
१७८२
( ११८ ) माके परनानाकी लड़कीके लड़केका लड़का
( ११९ ) माके परनानाके लड़केकी लड़कीके लड़केका लड़का ( १२० ) माके नानाकी लड़कीकी लड़कीका लड़का नानाक लड़केकी लड़कीकी लड़कीका लड़का
[ नवां प्रकरण
( १२१ ) मा ( १२२ ) माके परनानाकी लड़कीकी लड़कीका लड़का
( १२३ ) माके परनानाके लड़केकी लड़कीकी लड़कीका लड़का
नोट - दफा ६३३ से ६३९ तक के बन्धुओं की संख्या १२३ बताई जा चुकी है और यहां पर भी बन्धुओं की संख्या १२३ बताई गयी है । फरक स्थान का है अर्थात किस बन्धुकी कौन जगह "है इस बातका फरक है । इस फरकके पड़ने से पहले या पीछे वारिस होने का मौका बन जाता है । नं० ९ तक तो दोनों ने एकही क्रम माना है आगे फरक पड़ने लगा । यह न समझिये कि पहले के बन्धुओं का क्रम कतई गलत है, अभी तक किसी फैसलेमें यह नहीं बताया गया कि अमुक क्रम सब गलत माना जाय और अमुक सही । चूंकि बन्धुओं की संख्या अधिक है और पेंचीश है तथा सिद्धान्तों में मतभेद है इसीसे स्कूलों के अन्तर्गत उनका अर्थ भिन्न भिन्न हो सकता है और इसी सबब से कतई तय नहीं हुआ। हम इस जगह पर स्मृति कारों के अविकल बचनों द्वारा सारा फरक समझाना चाहते थे किन्तु ग्रन्थके बहुत बढ़ जाने के भय से संकेत करके छोड़ दिया है ।
नक़शा देखनेकी रीति- पहले आप मृतपुरुष आखिरी मालिक को निश्चित करें पीछे अपना रिश्ता उससे मिलावे और फिर यह देखें कि आपकी रिश्तेदारीकी जगह किस नम्बर में आती है। जब नवम्र मिल जाय तब नक़शा सामने रखें । पहलेका नम्बर जो आपको मिला है उसमें आत्मबन्धु या पितृबन्धु या मातृबन्धु लिखा है । नक्रशेमें सबसे पहले बन्धुकी क़िस्म देख लें पीछे वह नम्बर तलाश करलें उसी स्थानपर मिलेगा, नम्बरका मतलब यह है कि पहले जितने नम्बर हैं जब वे सब न होंगे तब उस नम्बर को वरासत मिलेगी ।
दफा ६४० बम्बई में कौन कौन औरतें बन्धु मानी गयी हैं
( १ ) मि० वेस्ट, और मि० बुद्दलरके अनुसार मृत पुरुषकी मिश्र शाखा वालोंकी और उनकी औलादकी लड़कियें सात पुश्त तक बन्धु मानी गयी हैं जैसे-
लड़के की लड़की; देखो - बनीलाल बनाम पारजाराम 20 Bom. 173. और लड़की की लड़की, भाईकी लड़की, देखो -- माधोराम बनाम दाषी 21 Bom, 739, 744. लालूभाई बनाम मानकुंवर बाई 2 Bom. 388, 446. तुलजा