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उत्तराधिकार
[नर्वा प्रकरण
इस क्रिस्मका कोई फैसला नहीं मिला कि जिसमें लावारिसकी जायदाद गुरू या चेला को मिली हो । यद्यपि आचार्योंकी यह राय है मगर यह राय एक मुकद्दमें में नहीं मानी गयी देखो-कलक्टर श्राफ मसुलीपटम बनाम कावाली बैंकट 8 M. I. A. 500; S. C. 2 Suth ( P. C. ) 59 इस मुकहमें में सरकारने दावा किया था जो जायदाद एक ब्राह्मणकी थी, सरकारने बलिहाज़ लावारसी एक ब्राह्मण विधवाके मुकाबिलेमें दावा किया था।
(४) लावारिस जायदाद का मालिक सरकार होती है-जब किसी आदमीके मरनेपर उसका कोई वारिस न हो तो उसकी जायदादकी मालिक सरकार होती है यह माना हुआ सिद्धांत है। एवं इस सिद्धांतके अनुसार लावारिसकी जायदाद सरकारको पहुंचती है जिमीदारको नहीं पहुंचती यानी जिमीदार उसका मालिक नहीं हो सकता । जब किसी जिमीदारने अपनी जिमीदारीका कोई हिस्सा किसी दूसरे आदमीको या औरतको इस अधिकार के साथ अलहदा दे दिया हो कि उसे जायदादके बेंचनेका अधिकार है और वह आदमी उस जायदादका अकेला संपूर्ण अधिकारों सहित मालिक हो गया होतो उस आदमीके लावारिस मरनेपर जिमीदार या उसके कायम मुकाम उसकी जायदादको नहीं पा सकते वह सरकारमें जायगी, देखो--सोनट बनाम मिरजा 3 I. A. 923 S. C. 25 Suth 239. . उदाहरण-मानसिंह दस गावोंका ज़िमीदार है। उसने एक गांव धीरसिंहको इस शर्तके साथ दे दिया कि वह उसकी मातहतीमें रहेगा मगर धीरसिंहको उस गांवके बेचने वगैराका सब अधिकार प्राप्त रहेगा । धीरसिंह मरगया और उसके कोई वारिस नहीं हैं; अर्थात् सपिण्ड, समानोदक और बन्धुओंमें कोई नहीं है। तो अब धीरसिंहकी उस जिमीदारीको जो लावारसी है सरकार लेगी जिमीदारको नहीं मिलेगी। और ऐसी ही सूरत तब होगी जब धीरसिंहकी औलाद होनेपर जायदाद उसकी औलादमें चली गई हो और आखिरी जायदादका मालिक लावारिस मरगया हो।
मानसिंहने, एक बाग और एक मकान शिवभजन काछीको दे दिया शिवभजन काछी लावारिस मरगया। तो अब बाग और मकान जिसका कि शिवभजन काछी अपनी जिंदगीमें अकेला संपूर्ण अधिकारों सहित मालिक था जिमीदारको नहीं मिलेगा बल्कि सरकार लेगी। यह सिद्धांत ऐसी सूरतसे सम्बन्ध नहीं रखता जहांपर कि कोई बाग या ज़मीन ज़िमीदारने किसीको खिदमती दी हो या दूसरी किसी खास शर्तके आधारदी हो ।
साधकी जायदाद साधूसे मतलब उस आदमीसे है जिसने दुनियांसे अपनेको अलहदा कर लिया हो और किसी बर्णाश्रममें न रहा हो। जब कोई साधू किसी मठ, या कुटी, या गद्दीमें रहेता हो और उसका मालिक हो, तो उस साधूके मरने के बाद उस मठ, या कुटी, या गहीमें लगी हुई जायदादका उत्तराधिकार मठ,