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उत्तराधिकार
[नवां प्रकरण
-दफा २ वह व्यक्ति जो अविभक्त हिन्दू परिवारकी सम्पत्ति
के उत्तराधिकार तथा उसके अधिकारोंसे वंचित
नहीं रखे जावेंगे चाहे हिन्दूला या चलन ( Custum ) इसके विरुद्ध ही क्यों न पड़ता हो, जन्मके पागल ( Lunatic ) व दीवाने ( Idiot ) को छोड़कर कोई भी व्यक्ति जिसके लिये हिन्दूलॉ लागू है किसी उत्तराधिकार ( Inheitance ) से या श्रविभक्त परिवारकी सम्पत्तिके अधिकार या विभाग से केवल इस ही कारण वंचित नहीं रहेगा कि वह किसी रोगसे पीड़ितहै या कुद्रूप है अथवा उसमें कोई शारीरिक या मानसिक अयोग्यता है। -दफा ३ निषध तथा बचत
यदि इस एक्टके प्रारम्भ होनेसे पहिले कोई अधिकार पैदा होगया हो अथवा कोई योग्यता प्राप्त हो चुकीहो तो उस पर इस एक्ट की किसी बातका प्रभाव न पड़ेगा या यदि इस एक्टके पास होनेसे पहिले किसी व्यक्ति को कोई धार्मिक अधिकार अथवा किसी धार्मिक या परोपकारी ट्रस्ट ( Trust ) का कार्य या प्रबन्ध न प्राप्त हो सकता हो तो इस एक्ट के अनुसार भी उस व्यक्तिको कोई ऐसा अधिकार प्राप्त न होवेगा।
नोट-यह कानून पास हुआ ता. २० सितम्बर सन् १९२८ ई. को । इस तारीखसे पहले यदि किसी व्यक्ति को वरासतका हक मिलाहो या पैदा होगयाहो तो उसका विचार इस कानूनसे नहें। किया जायगा चाहे उसका वह मुकद्दमा अबभी चल रहाहो । जो समय इस कानून के अन्दरहो । क्योंकि इस कानून की दफा ३ के प्राराम्भक शब्दों से यह ऊपरकी बात स्पष्ट होतीहै । इस कानून के पास होने से पहले जो मुकद्दमे चल गयेहैं और इस समयभी चल रहेहैं उनके सम्बन्ध में हिन्दूला में दिये हुये विषय से और इस समय तकको नजीरोम फैसला किये जायेंगे।