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ऐक्ट नं० २ सन् १६२६ ई०
[ नवां प्रकरण
(Father's brother) ( बाप का भाई) से पहले मृत पुरुष की सम्पत्ति पाने के उत्तराधिकारी होंगे ।
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परन्तु शर्त यह है कि बहन के लड़के से मतलब उस लड़केका नहीं है जो उसकी ( बहन की ) मृत्यु के पश्चात् गोद लिया गया हो ।
- दफा ३ इस क़ानूनकी किसी बातका प्रभाव नीचे लिखी हुई बातोंपर नहीं पड़ेगा
(ए) किसी खानदान या किसी स्थान के विशेष रवाजपर जो क़ानून के तौर पर माना जाता हो, या
(बी) लड़के की लड़की, या लड़की की लड़की या बहनका हक़ किसी जायदाद में उससे अधिक या उससे भिन्न नहीं पहुंच सकेगा जो किसी स्त्रीका मिताक्षरा स्कूल के अनुसार किसी पुरुष की जायदादमें पहुंचता रहा है ।
(सी) यदि किसी रीति रवाज या दूसरे नियम के अनुसार किसी हिन्दू पुरुष की जायदादका उत्तराधिकारी केवल एकही वारिस हो सकता हो तो इस ऐक्ट के अनुसार ऐसे मृत हिन्दू पुरुषका वारिस एक से अधिक न हो सकेगा ।
व्याख्या
इस कानून के बनने का कारण - हिन्दू धर्म शास्त्रकारोंने ५७ दर्जे तक सपिण्ड माने हैं सपिण्ड का मोटा अर्थ यह है "नजदीकी सम्बन्ध" हिन्दुओं में जायदाद का क्रम प्रायः इसी आधार पर चला है ५७ दर्जे में सपिंड सबों ने माना है पर बीचमें उनके शुमार करनेमें मतभेद हैं ।
इस कानून के पास होने से पहले उन बारिसों को जायदाद नहीं मिलती थी खास कर बना स्कूल में जो इस कानून में बताये गये हैं । प्राचीन आर्य ग्रन्थोंमें उत्तराधिकार इन वारिसाको कुछभी नहीं दिया गया चाहे जायदाद दूर से दूर किसी ऐसे वारिसको चली जाय जो कई गोत्र बीचमें आने पर शुमार किया जाता हो अथवा उनके भी न होने पर जायदाद किसी शिष्य या स्थानीय किसी ब्रह्मचारीको दे दी जाय मगर उन वारिसों को न दी जाय जो इस कानून में बताये गये है । क्योंकि वे वारिस पुराने जमान नहीं माने गये । और उनका नाम तक उत्तराधिकार में नहीं लिया गया । बल्कि यह बात साफ तौर से मिलती है कि जिस वाक्य के आधार पर यह उत्तराधिकार निर्माण किया गया है उस वाक्य के अर्थ से यह परिणाम निकाला गया है । क्योंकि उसी वाक्य के अर्थ से बम्बई और मदरास स्कूलों में बंगाल मिथिला और बनारस स्कूल की अपेक्षा कुछ अधिक वारिसों का हक उत्तराधिकार मिलने में मजूर किया गयौह । वे ऐसे वारिसोंके अन्दर कुछ औरतें तथा गोत्रज सपिंडों की विधवायें भी शामिल करते हैं ।
बङ्गाल, मिथिला और बनारस स्कूलमें सिर्फ पांच स्त्रियां सीमाबद्ध अधिकार सहित उत्तराधिकार पाती है जैसे, विधवा, लड़की, मा, दादी और परदादी । बम्बई स्कूलमें इनके अलावा १ लड़केकी लड़की