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उत्तराधिकार
[ नयां प्रकरण
पीछे सौतेलेको हक़ प्राप्त होता है ( देखो दफा ६११ - ५ ) बम्बई हाईकोर्ट ऐसा नहीं मानती -
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(२) चाचा के लड़के बराबर हिस्सा पावेगें, तथा जायदादको पूरे अधिकारके साथ लेंगे ( देखो ५६४ ) सरवाइवरशिप लागू नहीं पड़ेगा । पोतेकी वरासत ( चाचाका पोता )
दफा ६१६ बाप के भाई के
(चाचाका पोता ) - ( १ ) इलाहाबाद हाइकोर्टके अनुसार चाचाका पोता, चाचाके लड़केके बाद और पितामहकी माता ( परदादी ) से पहिले उत्तराधिकारमें जायदाद पाता है । यानी क्रम यह है - लडूके- पोते - परपोते, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाईके लड़के, भाई के पोते, दादी, दादा, लड़केकी लड़की, लड़की की लड़की, बहन, बहनका लड़का, चाचा, चाचा के लड़कोंके न होनेपर चाचाके पोते उत्तराधिकारमें जायदाद पाते हैं ।
मिताक्षरा में साफ़ नहीं कहा गया मगर जो सिद्धान्त ऊपर भाईके पोते की वरासत ( दफा ६११ ) में माना गया उसके अनुसार चाचाके पोते की जगह यही है । मिताक्षरामें 'पितृव्यास्तत्पुत्राश्च' यहांपर 'च' से मतलब यह 'लिया गया है कि 'उनके लड़के' यानी चाचा और उसके लड़के तथा उनके लड़के | देखो दफा ६२५.
(२) चाचा के पोते बराबर हिस्सा पावेंगे, तथा जायदाद पूरे अधिकारों के साथ लेंगे (देखो दफा ५६४ ) सरवाइवरशिप लागू नहीं पड़ेगा ।
दफा ६१७ परदादीकी वरासत (बापके बापकी मा- पितामहकी मा)
(१) लड़के, पोते, परपोते, विधवा, लड़की, नेवासा, माता, पिता, भाई, भाईके लड़के, भाईके पोते, दादी, दादा, लड़के की लड़की, लड़की की लड़की, बहन, बहनके लड़के, चाचा, चाचाके लड़के, और चाचाके पोतों के न होने पर परदादी को उत्तराधिकार में जायदाद मिलती है । मिताक्षरामें कहा गया है कि
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'पितामह सन्तानाभावे प्रपितामही'
दादाकी सन्तान न होनेपर परदादी को जायदाद मिलती है । इसलिये परदादीका हक़ परदादा से पहिले माना गया है ।
परदादीको जायदाद महदूद अधिकारों सहित सिर्फ उसकी जिन्दगीभर के लिये मिलती है। इसीलिये उसको सिवाय क़ानूनी ज़रूरतोंके जो इस किताबकी दफा ६०२; ७०६ में बताई गयी हैं जायदादका इन्तक़ाल नहीं कर सकती । मिताक्षरा स्कूलमें औरतोंका हक़ महदूद होता है (देखो दफा ५६६ )