________________
७६४
उत्तराधिकार
[नर्वा प्रकरण
कलकत्ता हाईकोर्टकी पेंचीदा रायका सारांश हमने ऊपर बताया। अब आगे इसी रायके अनुसार बन्धुओंको फैलाकर समझाते हैं ।
५८-६८ बाप ७
२६-३५ बाप ४ ४७-५७ बाप ६
६१-१०१ बाप १० ११३-१२३ बाप १२
२२-२८ बाप३ ३६-४६ बाप ५
८०-१० बाप
१०२-११२ बाप ११
१५-२१ बाप २
मा५
मा ५
६-७४
६६-७६ चाप
मा३
८-१४ बाप १
मृतपुरुष
___लड़की
लड़का १
लड़की
(१) लड़का ३ लड़का २
लड़की
(४)लड़का ६ (६)लड़का ५ लड़की
(२)लड़का लड़की लड़का ११ +
लड़का१०+ (३)लड़का (७)लड़का लड़का (१) नम्बर १,२मृतपुरुषका लड़का और पोता है। यह दोनों सपिण्ड हैं।
(२) नं० ३ लड़कीका लड़का, नं० ४ लड़केकी लड़कीका लड़का, नं० ५ लड़कीके लड़केका लड़का, नं० ६ लड़कीकी लड़कीका लड़का है।।
(३) नं०७ मृत पुरुषके पोतेकी लड़कीका लड़का, नं०८ लड़केके लड़कीके लड़केका लड़का, नं० ६ लड़केकी लड़कीकी लड़कीका लड़का है।
(४) नं० १० +लड़कीके, लड़केके लड़केका लड़का, और नं० ११ + लड़कीकी लड़कीके लड़केका लड़का है । यह दोनों बन्धु नहीं हैं क्योंकि इनमें घही कायदा लागू पड़ता है जो ऊपर कहा गया है। . (५) ऊपर नं०१ और २ सपिण्ड हैं तथा नं० १० और ११ बन्धु नहीं माने जाते । इसलिये इन चारोंको छोड़कर बाकी सात रिश्तेदार मृत पुरुषके बन्धु हैं, अर्थात् नं० ३, ४, ५, ६,७,८,६, यह सात बन्धु हैं देखो जिनमें कोष्ट () बना हुआ है।