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उत्तराधिकार
[ नवां प्रकरण
वैधायन, देवल और बृहस्पतिने औरस पुत्रसे दूसरा दर्जा माना है (देखो दफा ६०). अब यह रवाज बन्द होगया है मगर लड़कीके लड़केका स्थान उत्तराधिकार में ज्योंका त्यों रहा और अब भी उसका स्थान पुत्र, पौत्र प्रपौत्र के नीचेही माना गया है। आप ख्याल करेंगेकि विधवा, और लड़कीकी वरासतके भी नीचे कहना चाहिये था उत्तर यह है कि विधवा और लड़की तो सिर्फ जिन्दगीभरके लिये बीचमें पाजातीहैं और महदूद अधिकार रखती हैं। प्राचीन रीति और अगरेजी कानूनमें सिर्फ यह फरक पड़ गया है कि पहिले वह लड़का जो शौनकके बचना नुसार नानाका लड़का बन जाया करता था, अब वह अपने बापका माना जाता है। शौनकके बचनके नुसार विवाह नही माना जाता । उत्तराधिकारमें वह नानाके पौत्र ( पोते) की तरह माना जाता है। देखो-27 Mad. 300; 311; 312.
लड़कीका लड़का अपनी माका वारिस बनकर जायदाद नहीं पाता, बक्ति वह अपने नानाका वारिस बन कर नानासे जायदाद पाता है।
(४) नानाकी जायदादमें पूरा हक़ रखता है-जिस तरहपर कि विधवा लड़की जायदादमें महदूद हक़ रखती हैं उस तरहपर लड़कीका लड़का नाना से पाई हुई जायदादमें महदद हक़ नहीं रखता। वह उस जायदादका परा मालिक हो जाता है । इसी लिये जब कोई जायदाद नानाकी, किसी नेवासेको मिली हो तो फिर उस नेवासेके मरनेके बाद वह जायदाद उसके वारिसको जायगी, नानाके वारिसको नहीं मिलेगी।
(५) जब एकसे ज्यादा लड़कियोंके लड़के हों-जब किसीके दो या दोसे ज्यादा लड़कियों के अनेक लड़के हों तो वह सब लड़के नानाकी जायदाद बराबर हिस्सेमें पावेंगे। अर्थात् जब अनेक लड़कियोंके अनेक पुत्र हों तो वह सब पुत्र नानाकी जायदादमें बराबर हिस्सा लेंगे।
उदाहरण--'महेशदत्त'के दो लड़कियां हैं उमा और गार्गी । उमाके दो लड़के और गार्गीके तीन लड़के हैं। दोनों लड़कियां मर गयीं। पीछे महेशदत्त मरा तो अब उसकी जायदाद पांच बराबर हिस्सोंमें वाटी जायगी। हर एक लड़कीका लड़का एक एक हिस्सा पायेगा।
. (६) जब एकही लड़कीके एकसे ज्यादा लड़के हों-जब किसी आदमी के एकही लड़की हो और उस लड़कीके अनेक लड़के हों और वह सब मुश्तरका खानदानमें रहते हों तो वह सबनानाकी जायदादको मुश्तरका और सरवाइवरशिपके हलके साथ ( देखो दफा ५५८) लेंगे। देखो--वेंकयामा बनाम वेंकटरामनै अम्मा 26 Mad. 678; 29 I. A. 156.
जय कई एक लड़के जुदी जुदी लड़कियोंके हों तो वह पहिले नानाकी सब जायदाद शामिल शरीक लेंगे और फिर उन्हें अखत्यार है कि अपना