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दत्तक या गोद
दफा ३१८ गोद मंसूखीका दावा जब गोद लेने ज़िन्दगी में हो
वादी
प्रारम्भ में कहा गया है कि जब दसक होने की खबर मिले अथवा जब हक़ क़बज़ा पाने का पैदा हो उस समय से ६ वर्ष के अंदर नालिश दाखिल करना चाहिये । दोनों क़िस्म की नज़ीरें ऊपर दी जा चुकी हैं। जब दत्तक लेने से सियाद शुरू होती है, तो इस बात की होती है कि, जो पुरुष दत्तक न होने की दशा में उसका उत्तराधिकारी होगा जिसके क़ब्ज़े में जायदाद है तो नालिश ऐसी की जायगी कि दत्तक पुत्र अयोग्य है और का हक़ पश्चात् पैदा होता है, दत्तक लेने वाले की ज़िन्दगी में ऐसी नालिश नहीं हो सकेगी कि दत्तक पुत्र नाजायज़ क़रार दिया जाकर जायदाद मुद्दई को दिलाई जाय । क्योंकि जबतक दत्तक लेनेवाला ज़िन्दा है तबतक जायदाद उसके क़बज़े से नहीं अलहदा हो सकती इस बिनापर कि उसने अयोग्य दत्तक लिया था। दूसरी तरह से भी क़बज़ा पाने का दावा नहीं हो सकता क्योंकि अगर दत्तक पुत्र न लिया जाता तो उसके क़बज़े से जायदाद अलहदा नहीं हो सकती थी इसलिये क़ानून मियाद की दफा ११८ एक्ट ६ सन् १६०८ ई० के अनुसार सिर्फ क़रार दिये जाने अपने हक़ के और दत्तक पुत्र के नाजायज़ क़रार दिये जाने के लिये दावा दायर हो सकेगा । अगर मान लीजिये कि इस क़िस्म का दावा दायर किया गया और वह दत्तक जिसके विरुद्ध दावा है, अदालत से खारिज हो जाय तो उस वक्त वादी को जायदाद पर क़बजा नहीं मिल सकता क्योंकि जब दशक पुत्र अज्ञानावस्था की वजह से स्वत्वाधिकार को स्वयं नहीं प्राप्त हुआ था तो उसके खारिज होने पर वादी भी नहीं पा सकता । तथा दत्तक लेने वाले को, यदि अधिकार दूसरे दत्तक के भी लेने का हो तो वादी उसे रोक नहीं सकेगा । दत्तक होने की तारीख से अगर छ वर्ष से अधिक बीत गये हों, तथा उसके बाद असली वारिस के मरने की तारीख से छ वर्ष के अंदर गोद मंसूखी और जायदादपर क़ब्ज़ा दिला पाने का दावा किया गया हो तो हालत बिल्कुल दूसरी होगी। मगर बादी के खिलाफ़ सिर्फ यह ख़्याल किया जा सकेगा कि उसने दत्तककी खबर से अंदर मियाद अपने हक़ को क्यों नहीं साफ कर लिया। यानी वादी के विरुद्ध इस बात का ख़्याल होना ज़रूर है कि इतनी मुद्दत तक वह चुपके बैठा रहा और यह काम उसका एक प्रकार से यह नतीजा पैदा करता है कि वह दत्तक से नाराज़ नहीं था। मगर जब यह साबित न हों कि वादी कों यथार्थ में दत्तक का ज्ञान हो चुका था, जैसा कि कहा जाता हो तो कोई बात उसके विरुद्ध लागू नहीं पड़ेगी। हर हालत में यह ज़रूर है कि वारिस जायज़ को जहां तक हो सके अपना हक़ जल्द साफ करा लेना चाहिये और
[ चौथा प्रकरण
वालेकी