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दफा ४०६-४१० ]
कोपार्सनर
दफा ४०८ लड़केको हक़ कब नहीं मिलेगा
जब किसी आदमीको शारीरिक अयोग्यताके सबबसे कोपार्सनरी जायदाद में हक़ नहीं मिलाहो और ऐसी दशामें जायदादका बटवारा हो जाय तो बटवारा होनेके बाद अगर उसके लड़का पैदा होगया तो उस लड़केको भी कोई हक़ नहीं मिलेगा यानी वह लड़का फिर जायदादमें अपना हक़ कुछ भी नहीं रखता देखो - बापूजी लक्ष्मण बनाम पांडुरंग (1882) 6 Bom 616; और अगर बटवारा होने के पहिले उस अयोग्य आदमीके लड़का पैदा हुआ हो और वह लड़का योग्य पैदा हुआ हो तो उसे कोपार्सनरी जायदाद में हक़ मिलेगा । देखो – कृष्णा बनाम सामी (1885) 9 Mad. 64; और देखो मेन हिन्दूलॉकी दफा ६००.
कोपार्सनरी जायदादका कोई हिस्सा रोटी कपड़े के बदले में नहीं दिया जासकता, उसे जिसे रोटी कपड़ेके मिलने का हक़ कोपार्सनरी जायदादमें है । दफा ४०९ अपना हिस्सा छोड़ देना
बम्बई और मदरास प्रांतमें जहांपर किमिताक्षरा पाबंद कियागया है हरएक कोपार्सनर, कोपार्सनरी जायदादका अपना हिस्सा बिला मंजूरी दूसरे शरीक कोपार्सनरोंके किसी भी कोपार्सनरको देसकता है और बक्शीस कर सकता है । देखो - पेदैय्या बनाम रामलिंगन् 11 Mad. 406; मगर कलकत्ता और संयुक्त प्रांत में ऐसा नहीं होसकता अर्थात् वहांपर बिलामंजूरी दूसरे शरीक कोपार्सनरोंके अपना हिस्सा नहीं देसकता और न बख़्शीस करसकता है । देखो -चन्द्रकिशोर बनाम दंपती किशोर 16 All 369; एक पुरानी नज़ीर देखो- दालचन्द बनाम सुंदर 2 Agra 173.
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अगर किसी कोपार्सनरने अपना हिस्सा किसी दूसरे कोपार्सनरको देदिया हो तो वह सिर्फ अपनाही हिस्सा देसकता है मगर अपने बेटे पोते परपोतेका हिस्सा नहीं देसकता। देखो - शिवाजीराव माधोराव बनाम वसंत राव माधोराव 33 Bom. 267; 10 Bom. LR. 778.
नोट - बम्बई और मदरास प्रांत में मुश्तरका खानदान के मेम्बरको यह अधिकार माना गया है कि वह अपना हिस्सा दूसरेको दसकता है यहांपर दूसरेसे मतलब मुश्तरका खानदान के दूसरे मेम्बरसे हैं । यह बात बंगाल और इलाहाबाद हाईकोर्टने नहीं मानी ।
दफा ४१० कोपार्सनरके अधिकार
कोपार्सनरके अधिकार इस किताबकी दफा ४०१ में सामान्यरीति से बताये गये हैं यहांपर उन्हीको विस्तारसे देखिये
( १ ) को पार्सनरका पहला हक़ - -कोपार्सनरी जायदादके मेम्बरके हक़ को रक्षित रखते हुए मुश्तरका जायदादपर क़ब्ज़ा रखना और उससे लाभ