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दफा ४६६-५०१ ]
बापके वे कानूनी कर्जे .
कोटिशतेतुसंपूर्णे जायतेतस्यवेश्मनि ऋणसंशोधनार्थाय दासो जन्मनि जन्मनि तपस्वी वाग्निहोत्रीवा ऋणवान् मृयते यदि तपश्चैवाग्निहोत्रंच तत्सर्वं धनिनां धनम्
नारद कहते हैं कि ऋण लिया हुआ और दान दिया हुआ न देनेसे सौ करोड़ तक बढ़ता है, सौ करोड़ पूरा होनेपर वह ऋण चुकानेके लिये धनीके घर अनेक जन्म तक दास होकर कर्जा लेने वाले या दान देने वालेको रहना पड़ता है। यदि तपस्वी अथवा अग्निहोत्री बिना ऋण चुकाये मर जाय तो तपस्वीके तप और अग्निहोत्रीके अग्निहोत्रका फल धनीको मिलता है। . .
नोट-दान दिया हुआ' इससे मतलब यह है कि दान तो दिया मगर दानकी वस्तु दान लेने वाले को नहीं दी या उसे काम में नहीं लगाया जिसके लिये दान किया था ।
बेकानूनी या बुरे कामोंके वास्ते बापके लिये
हुए कोंके उदाहरण
दफा ५०१ बेकानुनी या बुरे कामोंके लिये बापके कर्जे
निम्नलिखित बापके क़ोंके अदा करनेके लिये पुत्र मजबूर नहीं किये जा सकते और ऐसे कोंकी डिकरी अदालतसे उनपर नहीं हो सकती । यह ध्यान रहे कि जिस प्रकारके कर्जे बापके लिये हुये पुत्रोंको मजबूर नहीं करते, वैसाही दादाके लिये हुये कर्जे पौत्रोंको मज़बूर नहीं करते यानी बाप और दादाके कजों में कोई फरक नहीं है दोनों एकही तरहके माने जाते हैं।
(१) जो कर्जा शराब पीनेके लिये लिया गया हो।
(२) खेल, तमाशों, या जुवा खेलने आदिके कामोंके लिये या शर्त लगाने के लिए या ऐसे कामों में जो नुकसान हो गया हो उसके अदा करने के लिये।
(३) ऐसे इकरारसे जो बिना बदलावका हो अर्थात् बापने किसीको १००) देनेका बचन दिया मगर उसके बदले में कुछ नहीं लिया।
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