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साधारण नियम
दफा ५६६ - ५७० ]
दफा ५६९ उत्तराधिकारका हक़ किसीको नहीं दिया जासकता
उत्तराधिकारका हक़ जबतक उसे प्राप्त न हो ऐसा माना जायेगा कि मानोउसे वह हक्र प्राप्तही नहीं है, यानी वह हक़ हासिलशुदा नहीं होता। इसीलिये उत्तराधिकार के हक़का क़ानूनी जायज़ इन्तक़ाल नहीं होसकता अर्थात् इस हक़ को कोई मर्द या औरत रेहन या बय या और किसी तरहपर इन्तक़ाल नहीं' करसकती और न किसीको दे सकती है; देखो - ट्रांसफर श्राफ प्रापरटी एक्ट की दफा ६ सन १८८२ ई० यह दफा इस प्रकार है -
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"अगर कोई आदमी अपने उत्तराधिकारके हक़के प्राप्त होनेके पहिले किसी दूसरे आदमी के साथ उस हक़के बारेमें कोई शर्त या मुनाहिदा करले तो वह शर्त या मुआहिंदा जबउसे ऐसा हक़ प्राप्त होगा पाबंद नहीं कर सकेगा " और देखो - बहादुरसिंह बनाम मोहरसिंह (1901) 24 Cal. 94; 29 I:A.1. दफा ५७० मिताक्षरा स्कूलमें सरवाइवरशिपू चार वारिसों में होता है
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आमतौरपर मिताक्षरास्कूल के अनुसार अगर दो या दोसे ज्यादा आदमी उत्तराधिकारी हों तो वह जायदादको बतौर क़ाबिज़शरीरके लेते हैं बानी सरवाइवरशिप ( देखो दफा ५५८ ); का हक़ नहीं रहता । मगर चार तड़के ऐसे वारिस होते हैं जो इस तरह पर जायदादको नहीं लेते, बक्लि वह सरवाइवरशिप (देखो दफा ५५८ ) के हक़के साथ जायदाद पाते हैं। यह ध्यान रखना कि सिवाय चार क़िस्मके वारिसोंके जो नीचे बताये गये हैं और जितनी किस्म के वारिस होते हैं वह जायदादको उत्तराधिकारमें सरवाइवरशिपके हलके साथ नहीं लेते । चार क़िस्मके वारिस यह हैं
(१) बेटे, पोते, परपोते - दो या दो से ज्यादा हों अपने पैतृक पूर्वजोंकी अलहदा तथा खुद कमाई हुई जायदादको बतौर वारिसके लेते हैं; देखो - 18 Cal. 151, 17 I. A. 128.
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(२) नेवासा - यानी लड़कीके लड़के दो या दोसे ज्यादा हों और जो मुश्तरका खानदानमें रहते हों, अपने नानाकी जायदादको बतौर वारिसके लेते हैं; देखो - 25 Mad. 678, 29I. A. 156.
(३) विधवायें - दो या दोसे ज्यादा हों जो अपने पतिकी जायदादको बतौर वारिसके पाती हैं देखो - भगवानदीन बनाम मैनाबाई 11Mad. I.A.487.
( ४ ) लड़कियें - दो या दो से ज्यादा हों जो अपने बापकी जायदादकी वारिस होती हैं; देखो - बैंकायाम्मा बनाम वेंकटरामनैअम्मा (1902) 25 Mad. 678, 29. I. A. 156. बंबई और मदरास प्रांतको छोड़कर बाक़ी सब
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