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उत्तराधिकार
[नयां प्रकरण
दफा ५८४ सात दर्जेके सपिण्डोंका नकशा
धर्म शास्त्रके अनुसार सपिण्डका नक्शा देखो( परदादाके पिताके पिताका पिता ) पि०७
(परदादाके पिताका पिता) पि०६
५वृद्धप्रमातामह ( नानाके पापका बार)
(परदादाका पिता)
( परदादा ) प्रपितामह४ ( दादा ) पितामह३
४प्रमातामह ( नानाका पाप)
३मातामह (नाना)
dies
पिता
२माता
माता
(गोत्रज सपिण्ड)
(मिन गोत्रम सपिण्ड) मालिक १
पुत्र
पौत्र
प्रपौत्र
(गोत्रनसपिण्ड)
देखो-मालिक नं०१ अपनेको, या जिस आदमीका सपिण्ड मिलाना चाहते हो उसे समझो । मालिक नं०१ की दो शाखायें ऊपर गयी हैं और एक नीचे। ऊपरकी पितावाली शाखामें सपिण्ड सातवें नम्बरमें खतम हो जाता है अर्थात् सात नम्बर जहांपर दिया गया है वहां तक सपिण्ड हैं । 'पि' से मतलब है पिता यानी नं०५ का पिता ६, और नं०६ का पिता ७ है। इस तरहपर पिताकी शाखामें सपिण्ड सात पीढ़ी तक ऊपर जाता है । अब देखिये माताकी शाखा, इस शाखामें सपिण्ड पांचवें नम्बरमें खतम हो जाता है यानी मातृपक्षमें माता नाना, परनाना, और परनानाका बाप (नगड़नाना) चार हुए
और मालिकको मिला दो तो पांच हो जाते हैं। इस तरहपर मालिकको मिका कर माता पक्षमें सपिण्ड पांचवीं पीढ़ीमें समाप्त हो जाता है। नीचेकी