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उत्तराधिकार
[मवां प्रकरण
दफा ५९० बन्धु किसे कहते हैं ?
हिन्दुओंमें 'सपिण्ड' और 'समानोदक' मर्द सम्बन्धी रिश्तेदार होते हैं यानी जिन रिश्तेदारों का सम्बन्ध सिर्फ मर्दसे होता है वह सपिण्ड और समानोदकके अन्दर होते हैं। लेकिन 'बन्धु' यानी 'भिन्न गोत्रज सपिण्ड' स्त्री सम्बन्धी रिश्तेदार होते हैं । यह वह रिश्तेदार कहलाते हैं जिनका सम्बन्ध एक या एक से ज्यादा स्त्री द्वारा होता है । हर एक 'बन्धु' का सम्बन्ध मृत पुरुषसे कमसे कम एक स्त्री द्वारा ज़रूर ही होना चाहिये, कई एक स्त्रियों द्वारा जो सम्बन्ध होता है वह भी ‘बन्धु' कहलाते हैं। 'बन्धु' ऐसे रिश्तेदार कहे जाते हैं जैसे-बुवाका लड़का, मौसीका लड़का, मामाका लड़का, आदि। धुवाका लड़का, बापकी बहनका लड़का है। यहां पर बापकी बहन (स्त्री) द्वारा लड़केके साथ सम्बन्ध है। मौसीका लड़का, माकी बहनका लड़का है यहांपर मा और माकी बहन, दो स्त्रियों द्वारा लड़केके साथ सम्बन्ध है ।मामा का लड़का, माके भाईका लड़का है यहां पर माके द्वारा लड़केके साथ सम्बम्ध है इत्यादि । जहांपर 'बन्धु' शब्द आवे समझ लेना चाहिये कि किसी एक या कई एक स्त्रियोंके द्वारा सम्बन्ध जुड़ेगा। बन्धुओंको उत्तराधिकार सपिएड और समानोदकोंके पश्चात् प्राप्त होता है । बन्धुओं का विवरण इस किताब की दफा ६३३ से ६४१ तक देखो। दफा ५९१ गोत्रज सपिण्ड और भिन्न गोत्रज सपिण्डमें क्या
मिताक्षराने सपिण्डको दो भागोंमें तक़सीम किया है 'गोत्रज सपिण्ड' और 'भिन्न गोत्रज सपिण्ड' ( देखो दफा ५८० से ५८३, ५६० ) गोत्रज सपिण्ड वह सपिण्ड हैं जो मृत पुरुषके खानदान अर्थात् गोत्रके होते हैं। भिन्न गोत्रज सपिण्ड वह सपिण्ड हैं जो मृत पुरुषके गोत्रके नहीं होते यानी दूसरे गोत्रके होते हैं । गोत्रज सपिण्ड सब मर्द सम्बन्धी रिश्तेदार होते हैं। वह सिके पुरुषके सम्बन्धसे सपिण्डमें शामिल होते हैं जैसे पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, और पिता, पितामह, प्रपितामह, और भ्राता, भ्रातृ पुत्र आदि। भिन्न गोत्रज सपिण्ड सब स्त्री सम्बन्धी रिश्तेदार होते हैं (दफा ५६०); यानी वह पुरुष जो एक या अनेक स्त्रियोंके सम्बन्धसे मृत पुरुषसे जुड़े हुये थे जैसे -भांजा,