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उत्तराधिकार
[नवी प्रकरण
(३) सपिण्डोंमें वरासत मिलनेका क्रम
सपिण्ड नीचे लिखे क्रमानुसार उत्तराधिकारी होते हैं
दफा ६०३ लड़के, पोते, परपोतेकी वरासत
(१) अलहदा जायदादके वारिस होते हैं-लड़का, पोता, परपोता, यह तीनों मिलकर इकट्ठ मृत पुरुषकी अलहदा या खुद कमाई हुई जायदादके वारिस होते हैं। यानी एक लड़का, एक पोता जिसका बाप मर गया है, और एक परपोता जिसका बाप और दादा दोनों मर गये हैं मिलकर मरने वालेकी ऊपरकही हुई जायदादकै मालिकहोते हैं,देखो-मारूदाबी बनाम डोराई सामी 30 Mad. 340 लड़कोंके बिषयमें और देखो-2 Mad. 182, 5W. P.C.114.
(२) इकट्ठे जायदाद लेते हैं-लड़के, पोते, परपोते बापकी जायदाद को व्यक्तिगत नहीं लेते बल्ले अपने बाप और दादाके स्थानापन्न होकर उनका हिस्सा लेते हैं। देखो
मङ्गल
अमृत
शङ्कर +
गणेश +
भीम नल +
जय विजय अजय + यह निशान मरे हुएका है।
मङ्गल मरा और उसने एक लड़का 'अमृत' दो पोते 'राम और भीम' तथा तीन परपोते जय, विजय, और अजयको छोड़ा। ऊपरके बताये हुये सिद्धा. स्तके अनुसार मङ्गलकी जायदाद पहिले तीन बराबर हिस्सोंमें बांटी जायगी
नमें से एक हिस्सा उसका लडका 'अमृत' लेगा दसरा हिस्सा उसके पोते दोनों मिल कर लेंगे। इसी प्रकार तीसरा हिस्सा उसके परपोते तीनों मिल कर लेंगे । और अगर परपोतेका बेटा होता तो उसे हक़ नहीं मिलता। इस तरहके बटवारेका अगरेजीमें 'परस्ट्रिरिपस' ( Per Stripes ) है और व्यक्तिगत लेते तो बापकी जायदादमें ६ हिस्से हो जाते ऐसे बटवारेको अङ्गरेजीमें 'परकेपिटा' ( Per Capita) कहते हैं। लड़के, पोते, परपोते हमेशा बापकी