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दफा ५०५]
बटवारेके साधारण नियम
दायभाग स्कूल-दायभाग स्कूलमें हरएक बालिरा कोपार्सनर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष कोपार्सनरी जायदादका बटवारा ज़बरदस्ती करा सकता है। देखो दफा ४६८; नज़ीर देखो-31 Cal. 214; 8 C. W. N. 11. दफा ५०५ बेटे पोते और परपोतेके बटवारेका हक
मिताक्षरा स्कूलके अनुसार लड़का, मुश्त का जायदाद चाहे वह मनकूला या गैर मनकूला हो बापसे बटवारा करा सकता है, देखो-जगमोहन दास मङ्गलदास बनाम मङ्गलदास नाथू भाई 10 Bom. 628; सूर्यवंशी कुंवरि बनाम शिवप्रसादसिंह 6 I. A. 88 -100; b Cal. 148; 4 C. L. R. 2268 16 Bom. 29; राजाराम तिवारी बनाम लक्ष्मणप्रसाद 1867 B. L. R. F. B. 731; 8 W. R. C. R. 15-20, लालजीतसिंह बनाम राजकुमारसिंह 12 B L. R. 373; 20 W. R. C. R. 336; 18 Mad. 179; 1 All. 1592 12 Bom. 280; 16 Bom. 29; 7 Bom. L. R. 232; 18 Mad. 179.
परन्तु वह अपने दादासे बापके मरने के पश्चात् और परदादा से बाप और दादाके मरनेके पश्चात् बटवारा करा सकता है 1 Mad. H. C. 77; यह भी माना गया है कि अगर बाप और दादा दोनों ज़िन्दाहों और उनके हाथसे जायदाद खराब हो रही हो तब लड़का बटवारा करा सकता है, देखो-रामे. श्वरप्रसादसिंह बनाम लक्ष्मीप्रसादसिंह 31 Cal. 111.
बेटा अपने बापसे तभी बटवारा करा सकता है जब बाप अपने बाप(दादा) या भाइयों तथा दूसरे कोपार्सनरोंके शामिल शरीक न रहता हो। अगर रहता हो तो बेटा अपने बापसे बटवारा नहीं करा सकता, देखो 6. All. 560--575; 11 I. A. 164-179; 16 Bom, 26; 7 Bom. L. R. 232; मगर इलाहाबाद हाईकोर्टकी राय इससे सहमत नहीं है, देखो-जुगुल किशोर बनाम शिवसहाय 5 All. 480.
पुत्र-अगर मुश्तरका खान्दानमें केवल बाप और उसके लड़के हों तो प्रत्येक बालिग लड़का मुश्तरका जायदादका बटवारा बापसे करा सकता है, देखो--सूर्यवंशीकुंवर बनाम शिवप्रसाद 5 Cal. 14886 I. A. 88;10Bom. 528; 1 All. 159.
पौत्र--अगर मुश्तरका खान्दानमें केबल दादा और पोता मौजूद हैं तो पोता मुश्तरका जायदादका बटवारा अपने दादासे करा सकता है, देखो1 Mad. H. C. 77; 12 Beng. L. B. 373.
। प्रपौत्र-अगर मुश्तरका खान्दानमें केवल परदादा और परपोतामौजूद हैं तो परपोता मुश्तरका जायदादका बटवारा परदादासे करा सकता है, देखो--वेस्ट ऐन्ड बुहलरका हिन्दूलॉ P. 672..