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दफा ५६४-५६६ ]
साधारण नियम
लड़की (३) मा (४) बापकी मा ( दादी ) (५) पितामहकी मा ( परदादी ) पहिले सिर्फ ५ औरतें वारिस मानी जाती थीं मगर अब नये क़ानूनके अनुसार बङ्गालको छोड़कर लड़केकी लड़की, लड़की की लड़की, और बहन तीन औरतें . अधिक वारिस मानी गई हैं अर्थात् अब ८ औरतें वारिस होती हैं । नया क़ानून इस प्रकरणके अंतमें लगा है देखिये ।
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बङ्गाल स्कूलमें नये क़ानून की ३ औरतें वारिस नहीं मानी गयी, लेकिन अन्य स्कूलोंमें वह वारिस होती हैं। दफा ५६६ उत्तराधिकारकी जायदाद में औरतोंका हक़ महदूद है
जब औरतको जायदाद किसी मर्दसे, या किसी औरतसे बतौर वारिस के मिलती है तो उसका अधिकार उस जायदादपर महदूद रहता है । इसीलिये जब कोई हिन्दू बटे हुये परिवारका एक भाई और अपनी विधवाको छोड़ कर मर जाय तो उसकी विधवा बतौर वारिसके उसकी जायदाद पायेगी, भाई नहीं पायेगा । मगर विधवाका अधिकार उस जायदादपर महदूद (मर्यादा युक्त, संकुचित ) रहेगा। यानी विधवाको सिर्फ जायदादकी आमदनीके खर्च करनेका अधिकार है मगर वह जायदादको रेहन कर देने, बेंच देने, या किसी को दान कर देने आदिका अधिकार सिवाय उन सूरतोंके कि जिनका ज़िकर इस हिन्दूलॉ के अन्दर दफा ६०२ में है, नहीं है। विधवा के मरने पर वह जायदाद उसके वारिसको नहीं मिलेगी बल्कि उसके पतिके वारिसको मिलेगी यानी भाईको मिलेगी । यह याद रखना कि विधवाको जब कोई जायदाद किसीके वारिस होने की वजहसे मिलेगी तो उस जायदाद में उसके पूरे अधिकार नहीं होंगे। इसी तरहपर हिन्दुओंकी हर एक औरत ( विधवा लड़की, मा, दादी, परदादी, लड़के की लड़की, लड़की की लड़की और बहन ) का अधिकार उस जायदाद में महदूद रहता है जो उसे उत्तराधिकार में मिलती है।
मर्द, चाहे किसी मर्दका, या किसी औरतका वारिस हो उसे जायदाद मालिकाना तौर से अर्थात् सम्पूर्ण अधिकारों सहित मिलती है इसीलिये मर्द को जब कोई जायदाद उत्तराधिकार में मिलेगी तो उस जायदाद पर उसका पूरा अधिकार रहता है । और पूरा अधिकार रहने की वजहसे वारिस उस मर्द से निश्चित किया जाता है ।
विधवाको दी हुई जायदाद - जब विधवाको पूर्ण अधिकार दिया गया हो, तो वह उसे बिना इस ख़्यालके कि वह स्त्री है प्राप्त होना चाहिये-सन्देहात्मक मौके पर परिमित अधिकारही माना जाता है- इन्तक़ालके पूर्ण अधिकारोंके होने की सूरतमें कोई बाधा उपस्थित नहीं होती - हितेन्द्रसिंह बनाम सर रामेश्वरसिंह 87 I. C. 849; 88 I. C. 141 (2) ; 4 Pat. 510; 6 P. L. T. 634; A. I. R. 1225 Pat, 625,