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बटवारी
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[आठवां प्रकरण
मौरूसी जायदादमें पिता और पुत्र मिलकर बराबर हिस्सा बांट लेवें । इस बातपर ध्यान रखना चाहिये कि मिताक्षराने कहा है कि पिता अपने बापसे यदि अलग होगया हो तो फिर पोतेका हक दादाकी जायदाद में नहीं रहता।
(२) जब मुश्तरका खान्दानमें भाइयोंके परस्पर बटवारा हो तो हर एक भाई बगबर हिस्सा पावेगा । देखो याज्ञवल्क्यविभजेरन सुताः पित्रोरू रिक्थमृणं समम्-व्यव० ११७
पिताके मरनेपर भाई उसकी जायदाद और क़र्जा परस्पर बराबर हिस्से में बांट लेवे।
. (३) हर एक शाखा परस्ट्रिपस (Per Stirpes) हिस्सा पाती है, परन्तु हर एक शाखाके मेम्बरों को पर केपिटा ( Per Capita) हिस्सा मिलता है। दोनों शब्दोंका अर्थ देखो दफा ५५८ । बेटे चाहे एकही मां के हों और चाहे मिन्न मित्र माताओंके हो दोनों में यही नियम लागू होता है, देखोमंजनाथ बनाम नारायण 5 Mad. 362. और देखो याज्ञवल्क्यअनेक पितृकाणान्तु पितृतो भाग कल्पना-व्यव० १२०
मुश्तरका जायदादमें अनेक पिताओं वाले पुत्रोंका विभाग उनके पिताओं के दर्जेके अनुसार होता है यानी परस्ट्रिपस ( Per Stirpes ) पीछे परकेकेपिटा ( Per Capita ) इन दोनों शब्दोंका अर्थ देखो दफा ५५८.
(४) कोई कोपार्सनर आर पुत्र छोड़कर मर जाय तो उस कोपार्सनरके हिस्सेका अधिकारी उसका पुत्र होता है मगर शर्त यह है कि वह पुत्र कोपार्सनरीकी सीमाके अन्दर हो-कोपार्सनरी देखो दफा ३६६.
उदाहरण-(१) अ, नामका एक पुरुष अपना एक पुत्र क, और दो पोते ख १, और ख २, तथा तीन परपोते झ १, झ २, झ३, और एक नगड़पोता ठ, छोड़कर मर गया-नीचे वंशवृक्ष देखो
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ग+
ख१
ख२
च
। झ२
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झर
। झ३