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दफा ४१७ ]
कोपार्सनरी प्रापर्टी
रुपयासे मोल ले लिया हो तो अब वह जायदाद यद्यपि पहिले पैतृक सम्पत्ति थी मगर अब वह पैतृक सम्पत्ति नहीं रहेगी वह जायदाद उस कोपार्सनरकी अलहदाकी जायदाद हो जायगी जिसने कि उसे मोल लिया है; देखो बलवन्त सिंह बनाम रानी किशोरी 20 All. 267; 25 I. A. 54
(१८) जायदाद, जो किसीने अपने पूर्वजसे इनाम या वसीयतले पाई हो । जब कोई आदमी अपनी खुद कमाई हुई या अलहदा जायदादको अपने लड़के को किसी पुरस्कार (इनाम) में देदे या मृत्युलेख पत्र ( वसीयतनामा ) द्वारा उसको देदे तो सवाल यह पैदा होता है कि ऐसी जायदाद लड़केकी अलहदा जायदाद होगी अथवा लड़केकी मर्द श्रलादके लिये मौरूसी जायदाद होगी ? कलकत्ता और मदरासके फैसलोंके अनुसार ऐसी जायदाद जहांपर कि बापका दूसरा इरादा न हो वह मौरूसी मानी गई है, देखो - 6 W. R.71 इनाम 24 Mad. 429. वसीयतका प्रकरण १६ देखो । इरादासे मतलब यह है कि- जैसाकि मृत्यु पत्र से मालूम होता हो या इनाम देते समय जैसा इरादा रहा हो ।
बम्बई और इलाहाबादके फैसलोंके अनुसार ऐसी जायदाद जहांपर मृत्युपत्र में या दान देते समय कोई वरखिलाफ इरादा नहीं पाया जाता हो तो लड़के की लहदा जायदाद मानी जायगी - देखो जगमोहनदास बनाम मंगल दास ( 1886 ) 10 Bom. 528; परसोत्तम बनाम जानकीबाई ( 1907 ) 29 All 354; दोनों मुक़द्दमें वसीयतके हैं। हर सूरत में बाप अपने लड़के की शादी के वक्त जो रुपया उसे पुरुस्कारमें देता है वह लड़के की अलहदा जायदाद होती है मौरूसी जायदाद नहीं होती । और लड़केकी मर्द औलाद अपनी पैदाइशसे उस जायदादमें हक़ प्राप्त नहीं करती। 12 Cal. W. N. 103.
उदाहरण - ( १ ) ऐसा मानो कि अ, और उसके पांच लड़के मुश्तरका खानदानके मेम्बर हैं अ, अपने पांचों लड़कोंको अपनी खुद कमाई हुई मनकूला और रमनकूला जायदाद दानपत्र द्वारा देता है, मदरास और कलकत्ता हाई कोर्ट के अनुसार यह जायदाद हरएक लड़के के हाथमें पैतृकसम्पत्ति होगी जब कि बापका कोई खिलाफ इरादा नसाबित हो और उन लड़कोंकी मर्द औलाद अपनी पैदाइशसे उस जायदाद में हक्क प्राप्त कर लेगी ।
( २ ) ऐसा मानो कि-अ, ने एक वसीयतनामा लिखा जिसके शब्द यह हैं "मेरे तीन लड़के जो कि इस वक्त ज़िन्दा हैं और जितने लड़के कि बादमें पैदा हों वह सब मेरी जायदादको बराबर हिस्सेमें बांट लें" वसीयत में यह भी लिखा था कि जबतक उसकी तीन औरतें न मरजायें तबतक मौरूसी घरका बटवारा नहीं किया जाय। मदरास हाईकोर्टने यह निश्चय किया कि इस वसीयत में कोई ऐसा इरादा नहीं मालूम होता कि लड़के उस जायदादको