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मुश्तरका खान्दान
[ छठवां प्रकरण
वली जायदादका नहीं बन सकता -- किसी मुश्तरका खान्दानके मेनेजर के लिये यह अधिकार नहीं है कि वह गार्जियन एण्ड वार्डस ऐक्टके अनुसार उसी मुश्तरका खान्दानके नाबालिग़की जायदाद के वली बननेके लिये अर्ज़ीदे प्रेसीडेन्सी टाउनमें यह हो सकता है, कि मेनेजरको यह अधिकार हो कि वह चार्टर्ड हाईकोर्ट में उसके असाधारण न्यायाधिकारके अनुसार इच्छित इन्तकालके लिये इजाज़त चाहे और इस प्रकारकी इजाज़तके अधिकारपर किसी जायदादका इन्तक़ाल करे, किन्तु उसके लिये यह असम्भव नहीं है कि वह मुश्तरका खान्दानकी किसी जायदादको जो मुफस्सिस में हो तब तक मुन्तक़िल करे, जब तक कि वह नाबालिग़ साझीदारकी जायदादको बांट न दे और इच्छित इन्तक़ालकी जायदाद उसके हिस्सेमें न आ जावे, 16 Bom. 634; 19 Bom. 96; 25 Bom. 353; 25 All. 407 & 43 Bom. 519. foll. यद्यपि अदालतके द्वारा मुकर्रर किये हुये वलीका अधिकार कुदरती और वसीयत वलीके ऊपर होता है किन्तु उस सूरतमें जब अदालत द्वारा कोई वलीन मुकर्रर किया गया हो, तब कुदरती वलीपर वे प्रतिबन्ध नहीं लागू होते हैं, जो कि अदालतने अपने द्वारा नियत किये हुये वलीपर गार्जियन एण्ड वाईस ऐक्ट द्वारा नियत किये हैं । उसके कामोंका जायज़ होना उस आम सिद्धान्त अनुसार निश्चित किया जायगा, जो उस नाबालिग और जायदाद के मैनेजर के मध्य सम्बन्धके आधीन होगा या गार्जियन एण्ड वाईस एक्टके शब्दों में वह उन तमाम कामोंको कर सकेगा, जो कि जायदादके प्राप्त करने, रक्षा करने, और फ़ायदेके लिये उचित और मान्य होंगे । लक्ष्मीचन्द बनाम खुशाल 18 S. L. R.230; 88I. C. 116; A. I. R. 1925 Sind 330.
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संयुक्त हिन्दू परिवारके मेनेजरका यह अधिकार समझा जाता है कि वह परिवार सम्बन्धी हितोंके लिये जो कुछ यथेष्ट समझे करे । उसके कर्तव्य की यह जांच है कि आया एक बुद्धिमान व्यक्तिने परिवारके लाभके लिये, उस अवस्थामें वैसाही किया होता या नहीं, देखो - रोशनलाल बनाम सेठ रुस्तम जी 92 I. C. 669; A. I. R. 1926 Lah. 249.
जायदाद पर पाबन्दी करनेका अधिकार - लाभ - रामचन्द्रसिंह बनाम जङ्गबहादुरसिंह 7 Pat . L. J 52; 5 Pat. 198; 1926 P. H. C. C. 70; A. I. R, 1926 Pat. 17.
जब किसी संयुक्त परिवार के सदस्य द्वारा कोई ऋण दिया जाय और वह उसकी वसूलयाबी के पहिलेही मर जाय तो यदि ऋण दी हुई रक्रम, ऋण देने वालेकी खानगी जायदाद हो, तो वह उस व्यक्तिको दी जानी चाहिये, जिसके पास ऋणदाताकी जायदादके वरासतकी सनद हो । यदि वह जायदाद संयुक्त परिवारकी जायदाद हो, तो उस व्यक्तिको दी जानी चाहिये जो बहै