________________
[ छटवां प्रकरण
क्षरा लॉ दृढ़ता के साथ माना जाता है यानी वहांपर कोई कोपार्सनर बिना दूसरे को पार्सनरों की मजूरीके मुश्तरका जायदादका कोई अपना हिस्सा या मुनाफा नहीं बेच सकता और न रेहन कर सकता है जैसा कि दफा ४४७ में बताया है। फ़र्ज़ करो कि मुश्तरका खान्दानमें बाप और उसके दो लड़के हैं, अर्थात् राम बाप है और उसके लव, तथा कुरा दो लड़के हैं, ऐसी सूरत में रामने खास क़र्जेके अदा करने के लिये अथवा पहिलेके क़र्ज़ेके चुकाने के लिये कीमत के बदले में मुश्तरका जायदादका अपना और अपने दोनों लड़कों का हिस्सा बिना मजूरी लड़कों के वरुण नामक आदमीके हाथ बेच दिया तो अब लव और उस विक्रीके पाबन्द हैं बशर्तकि बेचा जाना क़ानूनन नाजायज़ न हो । लड़के वरुणसे यह कहकर जायदाद पीछे नहीं पा सकते कि बापको हमारे हिस्से के बेंचनेका अधिकार न था और अगर ऐसी सूरत होती कि दादाने अपना हिस्सा तथा अपने पोतेका हिस्सा बिना पूंछे पोतेके बेच देता तो भी जायज़ होता ।
४.३४
मुश्तरका खान्दान
(२) बम्बई और मदरास प्रांतमें जहांपर मिताक्षरा लॉ के उक्त वाक्य का अर्थ सख्ती से नहीं माना जाता वहांपर हरएक कोपार्सनर मुश्तरका खान्दानकी जायदादका अपना हिस्सा बिना मञ्जुरी दूसरे कोपार्सनरों के क़ीमत के बदले बेंच सकता है और बाप अपने क़र्जे तथा क़जोंके लिये जो नाजायज़ न हों अपने लड़कोंके हिस्से सहित अपना हिस्सा मुश्तरका जायदादका बेच सकता है । अगर क़ानूननु नाजायज़ कामोंके लिये बेचा गया हो तो वह बिक्री नाजायज़ मानी जायगी ।
नोट- इलाहाबाद और बंगाल हाईकोर्ट के तथा बम्बई और मदरास हाईकोर्ट के दरमियान सिर्फ फरक यह है कि उपरोक्त पूर्व के दोनों हाईकाटों में मुश्तरका जायदादको एक मेम्बर नहीं बेंच सकता और न रेहन कर सकता है जब तक कि सब मेम्बर जिनका हिस्सा मुश्तरका जायदाद में हैं मंजूर न करले अथवा सबके सब मंम्बर उस बैनामा या रेहननामामें शामिल न हों । एवं उपरोक्त आखिरी दोनों हाईकोर्ट में मुश्तरका खान्दानका हरएक मेम्बर अपना हिस्सा बिना दूसरे मेम्बरों की मंजूरी के भी इन्तकाल कर सकता है बाकी बातें सब हाईकोटोकी एकसां है। आखिरी दोनों हाईकोटोंने खरीदारके लाभपर ज्यादा ध्यान दिया है तथा पहिले वालने जायदाद की रक्षापर | " क्रीमत के बदले " ऐसा कहने से मतलब यह है कि रुपया लेकर जायदाद दी गयी हो बसीयत या दान आदिके तरीके से नहीं ।
दफा ४४९ अदालतकी डिकरीसे मुश्तरका जायदादका कुर्क़ और नीलाम होना
शामिल शरीक हिन्दू परिवारमें रहने वाले किसी आदमीके ऊपर अगर कोई डिकरी अदालतसे हो जाय, तो यह बात साफ है कि सब प्रांतोंमें जहां पर कि मिताक्षरा लॉ माना गया है, जिसके ऊपर डिकरी हो उसकी ज़िन्दगी में मुश्तरका खान्दानकी जायदाद अदालतसे कुर्क कराई जा सकती है और