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मुश्तरका खान्दान
[ छठवां प्रकरण
उज्र नहीं कर सकता क्योंकि बापका क़र्जा अदा करने के लिये यह विक्री की गई थी-इस क़िस्मका फैसला देखो-4 Bang. L R. 117;11 I. A 321.
(४) विकी हुयी जायदादसे हिस्सा लौटाना-प्रथम मुद्दाअलेह के पिता ( स ) की मृत्यु, उस जायदादको, जिसका वर्णन नालिशकी सूची नं० १ में है प्रथम मुद्दईक पिताके हाथ बेचनेके बाद तथा दूसरी सूची में वर्णित जायदादको चौथे मुद्दाअलेहके हाथ बेचने के बाद, और तीसरी सूची में वर्णित जायदादको मुद्दाअलेह नं. ३ के पूर्वजोंके हाथ बेचने के बाद, हो गई । चौथी सूचीमें वर्णित जायदादका इन्तकाल उसके द्वारान हुआ था । प्रथम मुद्दाअलेह ने यह जावा किया कि उसके पिता द्वारा किये हुए इन्तकाल की पाबन्दी उस पर न थी और अपने हिस्सेके बटवारे के लिये नालिश दायर कर दी तथा डिकरी प्राप्त किया। उपरोक्त मुक़द्दमेकी समाप्ति पर, मुद्दईने जिसके हकमें सूची नं०१ की जायदाद इन्तकाल की गई थी, नालिश दायरकी जिसपर कि (स) की जायदादके आम बटवारेके लिये अपील दायर हुई। उन्होंने यह दलील पेशकी कि जो जायदाद इन्तकाल करनेसे बच गयी थी, वह उस हिस्सेके नियत करने के लिये काफ़ी है जिसका प्रथम मुद्दाअलेह अधिकारी है। प्रथम अदालत में उन्होंने यह प्रार्थनाकी कि वह पूरी जायदाद, जो उन्हें बेची गई है (स) के हिस्से में लगा दी जानी चाहिये और ( स ) के मध्यसे उन्हें प्राप्त होनी चाहिये या दूसरी सूरतमें यदि अदालत यह फैसला करे कि वह जायदाद जोकि उन्हें बेची गई है उनके हिस्से में नहीं लगाई जा सकती तो उसके बजाय दूसरी जायदाद लगाई जानी चाहिये।
__ तय हुआ कि मुद्दय्यानको प्रथम प्रार्थनाका अधिकार नहीं है किन्तु वे दूसरी प्रार्थनाके अधिकारी हैं । जहां तक कि खाल खास जायदादकी बिक्रीका सम्बन्ध है प्रथम नालिश ही अन्तिम है और अमर तजवीज़ शुदः है। पहिली नालिशकी डिकरीका यह फैसला होता है कि मुद्दई उस नालिशमें अपना हिस्सा बतौर अलाहिदा जायदादके प्राप्त करता है और उसे मुश्तरकाखान्दान की जायदादकी तरहपर नहीं प्राप्त करता। दूसरी प्रार्थनाके सम्बन्धमें, यह मुद्दई के अधिकारके भीतर न था कि वह पहिली नालिशमें आम बटवारेकी प्रार्थना करता । सोडरी मुथू बनाम पवदे पचिया पिल्ले ( 1925) M. W. N. 844; 49 M. L. J. 679.
हिस्सेदारीकी जायदादकी एक महका इन्तकाल-पुत्र द्वारा इन्तकाल के मंसूख्न करनेकी नालिश-मुन्तकिल अलेहका श्राम बटवारे और पिता द्वारा इन्तकाल किये हुए भागके नियत करानेका अधिकार-कन्दा स्वामी ओडायन बनाम बेलामुदा ओडायन 92 I. C. 332 (1); A. I. R. 1925 All 96.