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दायभाग-लॉ
दफा ४६६-४७५ ]
दफा ४७२ दायभागलॉका मेनेजर
मुश्तरका खान्दान की जायदाद के मेनेजरके अधिकार दायभाग और मिताक्षरा लॉमें एक समान हैं; देखो - 32 Mad. 271, 274. दफा ४७३ कोपार्सनरी जायदादका लाभ
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दायभागलॉका कोई कोपार्सनर जिस तरहपर चाहे अपने हिस्सेको काममें लावे, देखो -- ईश्वरचन्द्र बनाम नन्दकुमार 8 W. R. 239. रामदुबल बनाम मित्रजीत 17 W. R. 420 लेकिन वह ऐसा कोई काम नहीं करसकता कि जिससे कोपार्सनरी जायदादको हानि पहुंचे ( 13 W. R. 322 ) या जिससे दूसरे कोपार्सनरों के अधिकारमें फरक पड़े मसलन् वह किसी मुश्तरका खेत का कोई एक हिस्सा सिर्फ अपने लाभ के लिये नहीं जोत सकता (20 W. R. 168 ) अगर उसका हिस्सा उस खेतमें अलग बता दिया गया हो तो वह ऐसा कर सकता है ( 18 Oal. 10, 21; 17 I . A. 110, 120 ) . दफा ४७४ बटवारा करानेका अधिकार
मिताक्षरा लॉकी तरह दायभाग लॉमें भी हर एक बालिग़ कोपार्सनर बटवारा कराने का दावा कर सकता है, देखो - 6M. I. A 526. दफा ४७५ कोपार्सनरी जायदादमें अदालतका ख्याल
मुश्तरका खान्दान और मुश्तरका जायदादके विषयमें अदालत जो कुछ ख़्याल करके मान सकती है वह अधिकांश मिताक्षरा लॉ और दायभाग लॉ दोनो में एकही है। लेकिन दायभाग लॉमें यह नहीं ख़्याल किया जासकता कि बापने अपने पुत्र के नामसे जो जायदाद खरीदी वह मुश्तरका खान्दानकी जायदाद में शामिल है अर्थात् वह शामिल नहीं मानी जायगी क्योंकि इस स्कूल में बाप और बेटे के दरमियान मुश्तरका खान्दान नहीं होता, ऐसे मामले कि वह जायदाद बापकी थी या बेटेकी इसमें बार सुबूत उस पक्षपर होगा जो यह बयान करता हो कि यह जायदाद बाप की है; देखो - सारदा बनाम महानन्द 31 Cal. 448.