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दफा ४७६ ]
पुत्र और पौत्रकी जिम्मेदारी
जो माल बापने अनधिकारसे खर्च कर लिया हो उसके रुपयेके दिला दिये जाने की जो डिकरी दीवानी अदालतसे हो ऐसी डिकरीके देनदार पुत्र नहीं होंगे देखो -परेमनदास बनाम मट्ठ महतो 24 Cal. 672. परन्तु यह बात उस मामले से लागू नहीं होगी कि जिसमें बापने किसीका रुपया अनधिकारसे दबा रखा हो, देखो-महाबीरप्रसाद बनाम बासुदेवसिंह 6 All.234. चन्द्रसेन बनाम गङ्गाराम 2 All. 899; 27 Mad. 71; 28 All. 718. बापने यदि हिसाब न दिया हो तो देखो-16 Mad. 99; 31 Mad. 161. ) और अगर बापपर किसी आदमीने पिछले मुनाफेकी डिकरी प्राप्त की हो कि जिसकी गैर मनकूला जायदाद बापने अनधिकारसे अपने कब्जेमें रख छोड़ी थी तो उस डिकरीके भी पुत्र पाबन्द होंगे, देखो-गुरूनाथम् चट्टी बनाम राघ वेलूचट्टी 31 Mad 472. और इसी तरहपर पुत्र उस मुक़दमेंके खर्चके भी पाबन्द होंगे जो बापसे दिलाया गया हो मगर फौजदारी मामलोंसे सम्बग्ध न रखता हो, देखो-11 C. W. N. 163; 14 C. W. N. 6593; 33 All. 472.
पिता द्वारा सासुको जायदादका एक हक्रीकी भाग समर्पण किया जाना, बतौर इस रिश्वतकेकिवह बहकी ओरसे मक्रहमानचलाये-पत्रके विरुद्ध उस समर्पणकी पाबन्दी नहीं है पुत्रकी ओरसे समर्पणकी जायदादके वापसीकी नालिश हुयी उसमें डिकरी यदि समर्पण पिताके हिस्से तक जायज़ है-साकी वेंकट सुब्बप्पा बनाम एस कोरम्मा A. I. R. 1926 Mad. 5787 50 M. L.J. 369.
यदि किसी मुश्तरका खान्दानकी जायदाद, जो मिताक्षरा स्कूलके आधीन हो, खान्दानके पिता के खिलाफ उसकी व्यक्तिगत डिकरी द्वारा कुर्ककी गई हो, तो पुत्र उस जायदादके अपने अधिकारोंको कुर्की या नीलामसे केवल इस बिनापर बचा सकते हैं कि वे यह साबित करें, कि क़र्ज़ जिसकी बिनापर वह कुर्की है गैर तहजीबी कर्ज है या ऐसा क़र्ज है जिसकी अदाईकी पाबन्दी पुत्रोंका पवित्र कर्तव्य नहीं है-अब्दुलकरीम बनाम रामकिशोर 23 A. L. J. 196; 86 I. C. 8379 47 All 421; A. I. R. 1925 All. 327.
सूद न्यायानुसार मिलेगा-जब संयुक्त परिवारकी जायदादका रेहननामा सूदकी ऊंची दर पर किया जाय, तो मुर्तहिनको सूदकी दरकी न्यायानुकूलता और आवश्यकताका सुबूत देना चाहिये-केदारनाथ बनाम भीखम सिंह-92 I. C.679. दफा ४०९ सूद दिया जायगा
पुत्र और पौत्र अपने पाप या दादाके कर्जके सूद देनेका भी पावन्द है। सूत्र कितना देना चाहिये यह बात अदालत निश्चित करेगी । दाम दुपटका