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दफा ४५६-४६०]
इन्तकाल मंसूख करना
में प्रार्थना करके जायदाद वापिस ले सकते हैं; देखो-रामकिशोर बनाम जैनरायन 40 Cal. 966; 40 I. A. 213.
दावाकी मियाद-मिताक्षरालॉ मानने वाले बापने जिस पैतृक जायदादका इन्तक़ाल किया हो उसपर उसका पुत्र बारह वर्षके अन्दर उज्र कर सकता है और यह मियाद उस समयसे शुरू होगी जबकि उस आदमीने जिसके नाम इन्तकाल किया गया है जायदाद पर क़ब्ज़ा किया हो। देखो लिमीटेशन ऐक्ट नं०६ सन १९०८ ई०. । दफा ४५९ जायदादके इन्तकाल के बाद यदि दत्तक लिया गया हो
मुश्तरका जायदादके इन्तकालके पश्चात् जो दत्तक पुत्र लिया गया हो वह उस इन्तकालको जो जायज़ हो रद्द नहीं करा सकता मगर नाजायज़को करा सकता है। देखो-सूदानन्द बनाम सूर्यमणि 11 W. R. 436. रामभट्ट बनाम लक्षिमण 5 Bom. 630..
दत्तक-दत्तक लेन वाले पिता द्वारा नाना Maternal grand father) की जायदाद प्राप्त किया जाना-दत्तक पुत्र इसमें खान्दानी साझी है-बी० शेषझा बनाम ए० अप्पाराव A I. R. 1925 Mad. 125. दफा ४६० माके गर्भ में रहते हुए पुत्रके अधिकार
हिन्दूलॉ के अनुसार गर्भ में जो पुत्र हो उसको भी बहुत कुछ वही अधिकार प्राप्त हैं जो जन्में हुये पुनको हैं । गर्भमें चाहे लड़का हो या लड़की उनके जीवित पैदा होनेपर वे वरासतके अधिकारी हैं । गर्भ में जो पुत्र हो वह बटवाराके समय जायदादमें हिस्सा पानेका भी अधिकारी माना गया है। गर्भमें उस पुत्रके रहते समय यदि उसका बाप वसीयत द्वारा किसीको जायदाद दे दी हो या दे गया हो तो वह पुत्र पैदा होनेपर सरवाइवरशिप द्वारा उस जायदादको वापिस ले सकता है जिस तरहसे जीवित पुत्र पिताकी मृत्युके बाद सरवाइवरशिपसे उसकी जायदाद पाता है। उसी तरह वह पुत्र भी जो गर्भ में हो जायदाद पायेगा। पुत्रके सरवाइवरशिपका अधिकार रद्द करनेके लिये बाप किसी तीसरे श्रादमीको मुश्तरका जायदाद नहीं दे सकता चाहे वह पुत्र मौजूद हो या गर्भ में हो। जायदादके जिस इन्तकालपर जीवित पुत्र अदालतमें उज्रकर सकता है उसी तरह वह पुत्र भी कर सकता है जो इन्तकालके समय गर्भ में हो। सिर्फ एक ऐसी सूरत है जिसमें हिन्दुला गर्भ रहने वाले पुत्रको मौजूद नहीं मानता वह सूरत दत्तक पुत्रके सम्बन्धमें है क्योंकि आदमी अपनी स्त्रीके गर्भवती होनेपर भी दत्तक पुत्र ले सकता है पीछे चाहे गर्भसे पुत्रही उत्पन्न हो, देखो -हनूमन्त बनाम रामवन्द्र 12 Bom. 105. और देखो दफा १०५.