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मुश्तरका खान्दान
[छठवां प्रकरण
बातकी शहादत होगी कि उनका इरादा उस जायदादको मुश्तरका जायदाद रखने का था और मुश्तरका खानदानी जायदाद बनानेका न था तो उस के अनुसार अमल होगा। किन्तु कल्पना इस बात के पक्ष में है कि वह जायदाद मुश्तरका खानदानी जायदाद समझी जाय । मोतीलाल बनास हाजीमल 87 I. C. 809.
मुश्तरका खानदान-पिता द्वारा जायदाद--जब कोई हिन्दू पिता किसी जायदाद को उसके कोई पुत्र उत्पन्न होने के पहिले ही पैदा करता है तो वह जायदाद उसकी स्वयं उपार्जित होती है और जब वह उसके पुत्रोंको मिलती है तब वह बतौर अलाहिहा जायदाद के मिलती है। मथुरादास बनाम राम जी मल 85 I. C. 1006; A. I. R. 1925 Oudh 617. दफा ४२० विद्वत्ताकी कमाई
किसी ऐसे पेशे या कारबारसे जिसके लिये खास विद्वत्ताकी ज़रूरत हो और उससे जो धन प्राप्त किया जाय, ऐसी आमदनी विद्वत्ताका फल मानी जाती है। अगर मुश्तरका खान्दानके खर्चसे वह खास विद्वता न प्राप्त की गई हो तो वह आमदनी अपनी कमाई हुई अलहदा जायदाद कहलायेगी। और अगर मुश्तरका खान्दानकी जायदादकी आमदनीसे वह खास विद्वत्ता प्राप्त की गई हो तो उस विद्वतासे कमाई हुई जायदाद अलहदा जायदाद नहीं मानी जायगी लेकिन अगर खान्दानके खर्चसे केवल मामूली शिक्षा प्रारंभिक प्राप्त कीगई हो तो सिर्फ इस कारणसे वह आमदनी मुश्तरका नहीं समझी जायगी। देखो लक्षमण बनाम जमुनाबाई 6 Bom 225; 1 Mad. 252; 4 A. I. 109; चलाकंडा बनाम चलाकडा 2 Mad. HC.56; वाई मंछा बनाम नरोत्तमदास 6 Bom. H. C. A. C. 1; 10 W. R. 122; कृष्णाजी बनाम मोरो महादेव 15 Bom. 32; लछिमिन कुंवर बनाम देवीप्रसाद 20All 435; दुर्गादत्त बनाम गनेशदत्त ( 1910 ) 32 All. 305,
इसीलिये यह माना गया है कि यद्यपि एक वकीलने मुश्तरका जायदादके खर्चसे प्रारंभिक शिक्षा प्राप्तकी परन्तु कानूनी शिक्षा उसने मुश्तरका जायदादकी सहायता बिना प्राप्तकी इसलिये उसके पेशेकी आमदनी उस वकीलकी खुद कमाई हुई जायदाद होगी देखो-लक्ष्मण बनाम जमुना बाई 6 Bom. 225.
हालमें इलाहाबादके एक मुक़दमेंमें यह सवाल उठा कि क्या एक हिन्दू. ज्योतषीकी आमदनी उसकी खुद कमाई हुई जायदाद है ? मामला यह था कि वह ज्योतषी जब लड़का था तो उसके बापने जो स्वयं ज्योतषी था लड़के को कुछ प्रारंभिक शिक्षा दी थी परन्तु यह देखकर कि उसने ज्योतिष शास्त्र