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मुश्तरका खान्दान
[ छठवां प्रकरण
कमाईका रुपया किसी एक कारवारमें लगावे तो उस कारवारकी आमदनी मुश्तरका खान्दानकी आमदनी मानी जायगी । देखो-लाल बहादुर बनाम कन्हैयालाल 34 I. A.657 29Allk244; 11C.W.N.417; 9Bom.L.R.5976
(११) कोपार्सनरका फिर शामिल हो जाना-जब मुश्तरका खान्दान का कोई आदमी पहिले अलग हो गया हो और पीछे फिर शामिल हो गयाहो तो उसकी जायदाद सब कोपार्सनरी जायदाद हो जायगी देखो-17 Cal: 33; 33 Mad. 165.
(१२) अलहदा जायदादके दावाकी मियाद-अगर कोई मुश्तरका खान्दानका मेम्बर किसी जायदाद को अपनी अलहदा बयान करता हो उसे कानूनी मियादके अन्दर दावा करना चाहिये अगर ऐसा न होगा तो फिर वह कोपार्सनरीमें सामिल हो सकती है क्योंकि तमादी हो जानेपर दावा नहीं चलेगा। देखो-वसुदेवपाधी वरोरा बनाम मगनी देवन वखशी ( 1501) 28 I. A. 81, 24 Mad 387, b C. W. N. 545; 8 Bom. L. R. 303: .
(१३ ) कोपार्सनरी जायदादकी वृद्धि और प्राप्ति-मुश्तरका खान्दानकी जायदाद चाहे वह मनकूला हो या गैरमनकूला उसकी आमदनीसे या उसकी मददसे या उसके आधारसे जो जायदाद या धन प्राप्त किया गया हो वह सब मुश्तरका खान्दानकी जायदाद है और फिर उस जायदादकी आमदनी और उसकी बिक्रीका रुपया और उस रुपयासे खरीदी हुई जायदाद भी सब मुश्त. एका खान्दानकी जायदादहो जायगी। हरएक बातकी अलगअलग नज़ीरेदेखो
(१) मुश्तरका खान्दानकी जायदादकी आमदनीसे या उसकी मदद आदिसे जो जायदाद प्राप्तकी जाय-मुश्तका है-लालबहादुर बनाम कन्हैय्या लाल (1907)34 I.A. 65; 29 All.244; 11C.W N. 417; 9 Bom.L. R. 597;अमृतनाथ चौधरी बनाम गौरीनाथ चौधरी (1870) 13 M. I. A. 5425 15 W. R. P. C. 10; ईश्वरीप्रसादासंह बनाम नसीबकुंवर (1884 ) 10 Cal. 1017 सुभैय्या बनाम सैरय्या ( 1887 ) 10 Mad. 251; अजोध्याप्रसाद बनाम महादेवप्रसाद ( 1909 ) 14 C W. N. 221; 8 Mad. H. C. 25; 4 Mad. H. C.5; 19 W. R. C. R. 223; 17 W.R. C. B, 528; 8 W: R.C. R. 1827 6 W. R.C. R. 256. . (२) अगर मुश्तरका जायदादके आधारपर कोई जायदाद प्राप्त की गयी हो वह सब मुश्तरका है-शिवप्रसादसिंह बनाम कलन्दरसिंह 1 Ben. Sel. R. 76 दूसरा एडीशन १०१.
(३) मुश्तरका खान्दानकी जायदादकी आमदनीसे जो दूसरी जायदादं प्राप्त की जाय और उससे जो जायदाद प्राप्त की जाय आदि मुश्तरका है। देखो-(1888 ) 11 Mad. 246.