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मुश्तरका खान्दान
[छठवां प्रकरण
समझौते और इन्तज़ामके ऊपर निर्भर है जो पहिले हो चुका है । देखोमहावीर कुंवर जुमासिंह 8 B. L. R. 38; 16 W. R. C R. 221. . (७) नानासे उत्तराधिकारमें पाई हुई जायदाद। यह अभीतक पूरी तोरसे निश्चित नहीं हुआ है कि नानासे उत्तराधिकारमें पाई हुई जायदाद मौरूसी जयादाद होजाती है या नहीं। इस विषयमें एक केस देखिये
कयामा बनाम वेंकटराम नैय्यामा ( 1902 ) 25 Mad. 678; 29 I. A. 156. के केसमें दो भाई जो मुश्तरका खानदानके मेम्बरों की तरह रहते थे उन्होंने अपने ननासे कुछ जायदाद पाई उनमेंसे एक अपनी विधवाको छोड़. कर मर गया अब यहांपर सवाल यह पैदा हुआ कि उसके नानाकी जायदाद का हिस्सा उसकी विधवाको उत्तराधिकारके अनुसार मिलेगा अथवा सरवाइवरशिपके अनुसार उसके भाईको मिलेगा । प्रिवीकौंसिलके जजोंने यह निश्चित किया कि वह जायदाद दोनों भाइयों के पास मुश्तरका जायदाद थी और उसमें मृतपुरुषका अविभाजित हिस्सा उसके भाईको सरवाइवरशिप के अनसार मिलेगा. विधवाको उत्तराधिकारके अनुसार नहीं मिलेगा। फैसले का यह नतीजा हुआ कि लड़कीके लड़के नानाकी जायदादको सावाइघरशिपके अनुसार मुश्तरकन् लेते हैं। अपने फैसलेमें जजोंने यह भी कहा कि वह जायदाद लड़कीके लड़कोंके हाथमें जब पहुंचेगी तो मौरूसी यानी मुश्तरका खानदानकी जायदाद होजायगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट और मदरास हाईकोर्टने नानासे पाई हुई जायदादको मुश्तरका खानदानकी जायदाद नहीं मानी एसलिये इस विषयमें मतभेद है मदरास हाईकोर्ट ऊपरके फैसलेसे यह अर्थ निकलता है कि नानासे पायी हुई जायदाद पारिभाषिक अर्थमें पैतृक सम्पत्ति होती है, देखो-करूपाई बनाम सङ्कर नरायन्ना (1903) 27 Mad. 300, 312, 314 और इसलिये अगर ऐसा मानो कि 'अ' अपने नानासे कोई जायदाद पाये और उसके एक लड़का 'क' होजो उसके साथ मुश्तरका रहता हो तो उस जायदादमें 'क' अपनी पैदाइशसे हक प्राप्त कर लेगा और उस जायदाद 'अ' से बटवारा करा सकता है 27 Mad.382; और देखो 6 Mad. 1, 16; 3 I. A. 128-143,
इलाहाबाद हाईकोर्टने यह माना है कि प्रिवीकौन्सिलके जजोंने यह बताते वक्त कि दो या दोसे ज्यादा लड़कीके लड़के जो जायदाद अपमे नाना से उत्तराधिकारमें पाते हैं उसको मुश्तरका सरवाइवरशिपके साथ लेते हैं और उस वक्त उन्होंने जो पैतृक सम्पत्ति शब्दका उपयोग किया है वह उसके पारिभाषिक अर्थमें नहीं है लेकिन उसका वही मतलब है जो मतलब कि इङ्गलिशलॉ में 'मुश्तरका जायदाद' से निकलता है यानी वह जायदाद कि जिसके साथ सरवाइवरशिपका हक लागू नहीं होता है । इसलिये इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह माना कि नवासेका लड़का नानासे पायी हुई जायदादमें अपनी