________________
दफा ४११]
कोपार्सनर
४५
(२) जायदादके बारेमें एक दूसरेको काम करने में रुकावट डालना। (३) अपने कर्जेका जायदादपर बोझा डालना । (४) अपनी इच्छासे जायदादका बटवारा करा लेना।।
इन चार हनोंके सिवाय यह भी याद रखना चाहिये कि -कोपार्सनर जायदादको या उसके किसी खास हिस्सेको सरवाइवरशिप ( देखो दफा ५५८), के अनुसार लेते हैं । कोपार्सनरके अधिकारोंको विस्तारसे देखो दफा ४१०.
(२) दत्तकपुत्र कोपार्सनर है-दत्तकपुत्र भी, जिससमयसे कि वह गोद लिया जाता है कोपार्सनर बनजाता है इसतरहपर कि मानो वह औरस पुत्र है, कोपार्सनरके हक्क उसे पूरे प्राप्त होजाते हैं। . (३) बेटे, पोते, परपोते कोपार्सनर हैं-हिन्दूधर्मशाखके अनुसार बेटे, पोते, और परपोते पैतृक जायदादमें अपनी पैदाइशके समयसे हक्क प्राप्त करलेते हैं तो इससे साफ जाहिर है कि वही लोग जो अपनी पैदाइशसे पैतृक जायदादमें हक्र प्राप्त करलेते हैं कोपार्सनर है यानी मूलपुरुष, और उसके बेटे, पोते, परपोते.
(४) परपोतेके बेटे कब कोपार्सनर होंगे-यहबात बिल्कुल साफ है कि मूलपुरुष ( वह आदमी जिससे खानदान बना है या शुरू होता है ) के जीते जी सिवाय उसके, और उसके बेटे, पोले, परपोतोंके, अन्य कोई भी कोपार्सनर नहीं होसकता, मगर जब मूलपुरुष मर जायगा तो उसके मरने के पश्चात् जब जायदाद उस मूलपुरुषके बेटोंके पास जायगीतब बेदोंके परपोते भी कोपार्सनर सिर्फ उस जायदादमें होजायेंगे जो मौरूसी जायदाद मूलपुरुषके बेटोंके पास आई है, और उस जायदादमें बेटोंके परपोते भीअपना हक्क अपनी पैदाइशसे प्राप्त करेंगे। इस जगहपर स्मरण रखो कि बेटोंके परपोते मूलपुरुषके जीवनकालमें पैतृक जायदादमें कुछ हक्क नहीं रखते और न वह उससमय कोपार्सनर हैं।
(५) पोतेका अपने बापके स्थापन होना-अगर मूलपुरुषके मरनेसे पहिले उसके कई एक बेटोंमेंसे कोई बेटा मरगया हो तो मूलपुरुषके मरनेपर मरेहुए बेटेका लड़का (मूलपुरुषका पोता) अपने पिताके स्थानापन्न होकर मूलपुरुषके दूसरे बेटोंके साथ (चाचाओंके साथ) मौरूसी जायदादमें हिस्सा पावेगा। और ऊपर बताये हुए कायदेके अनुसार जब मृतपिताके स्थानापन्न होकर पोतेको मौरूसी जायदाद मिली हो तो अब उस पोतेके बेटे, पोते, और परपोते अपनी पैदाइशसे उस जायदादमें हक प्राप्त करलेते हैं और वह सब कोपासनर होजायेंगे।
(६) परपोतेका अपने दादाके स्थानापन्न होना-जब मूलपुरुषके मरने सेपहिले उसके कई एक बेटोंमेंसे कोई बेटा मरगया हो और उस मरेहुप