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मुश्तरका खान्दान
[छठवां प्रकरण
कोपार्सनरी जायदादमें है । देखो-रामसरनगराइन बनाम टेकचन्द्रगरायण ( 1900 ) 28 Cal. 194 अगर उसके बापने हक़ दिये हों तो होंगे।
(४) जब किसी आदमीके औरसपुत्र और अनौरस पुत्र दोनों किस्म के होवे तो बापको अधिकार है कि वह औरस पुत्रोंके बराबर तक अनौरस पुत्रको जायदादमें हक़ दे सकता है ज्यादा नहीं। देखो-करूपान्नान चिदी बनाम वलोकमचट्टी 23 Mad. 16.
(५) बापके मरनेके बाद अनौरस पुत्र सरवाइवरशिप (देखो दफा ५५८); के हनके साथ कोपार्सनरी जायदादमें दूसरे लड़कोंके साथ हिस्सेदार हो जाता है देखो-जोगेन्द्र भूपति हरीचन्द्र महापात्र बनाम नित्यानन्द मानसिंह (1890) 17 I. A. 128; 18 Cal. 151; 11 Cal. 7023
(६) अगर बाप अपनी ज़िन्दगीमें लड़कोंका हेनं नहीं दे गया और मर गया है तो बापके मरनेके पश्चात् अनौरस पुत्र, औरस पुत्रोंके मुनाषिले अदालतमें मुनमा दायर करके अपने हिस्सेका बटवारा करा सकता है। देखो-थङ्गम पिलाई बनाम संप्या पिलाई 12 Mad. 401. फकीर अप्या बनाम फकीर अप्पा (1902) 4 Bom L. R. 809.
(७) अगर बापने अपनी ज़िन्दगीमें लड़कोंका हिस्सा तकसीम नहीं किया तो बापके मरनेपर अनौरस पुत्रको औरस पुत्रसे आधा हिस्सा मिलेगा। देखो-पार्वती बनाम थिरूमलाई 10 Mad. 334,344; चिल्लामल बनाम रङ्गनाथम् पिलाई (1910) 34 Mad. 277.
उदाहरण--ऐसा मानो कि एक आदमी शूद्र कौमका मेरा जिसने दो औरस पुत्र तथा एक अनौरस पुत्र और पांच हजारकी जायदाद छोड़ी बापके मरनेपर अब बटवारा इस तरह होगा कि दो, दो, हज़ारकी जायदाद तो हर एक औरस पुत्रको मिलेगी तथा एक हज़ारकी अनौरस पुत्रको । इसी तरहसे जब औरस पुत्र और अनौरस पुत्र दोनों अनेक हों तो जितना हिस्सा हर एक औरस पुत्रको मिलेगा उसका आधा हिस्सा हर एक अनौरस पुत्र पावेगा। अनौरस पुत्रका हक़ केवल शूद्र कौममें माना गया है द्विजोंमें नहीं।
(८) अनौरस पुत्रको जायदाद कब मिलेगी ? शूद्र कौमके अनौरस पुत्रको उस वक्त कुल जायदादके पानेका हत पैदा होगा जबकि उसका बाप अपने भाइयोंसे बिलकुल अलहदा होकर मरा हो और उसके कोई औरस पुत्र न हो। देखो-25 Mad. 519.
(९) ऐसा अनौरस पुत्र, जो उत्तराधिकार पाने या कोपार्सनर होने का अधिकारी नहीं है वह रोटी कपड़ेके पानेका हक़ उस जायदादमें रखता है जिसकाकि उसका बाप अपनी ज़िन्दगीमें कोपार्सनर था-और यह हक़ उस पुत्रका उस जायदादपर भी होगा जिसका कि बटवारा नहीं हो सकता देखो