________________
३३६
दफा ३२० ]
अग्रवाल वैश्योंकी उत्पत्ति
बापकी जायदाद पर क़ब्ज़ा करने के हक़ को सिर्फ टालदेने से इस दफा की मियाद नहीं शुरू होगी - देखो - ( 1904 ) 28 B. 94.
उदाहरण - सेठ गोकरन और रामकरन दोनों सगे भाई हैं बटे हुए खानदान में रहते हैं । गोकरन ने एक लड़का गोद लिया और उसे बालिग छोड़ कर मर गया । पीछे राम करन ने दत्तक पुत्र को समझाया कि गोकरन की जायदाद का इन्तज़ाम मैं करता रहूंगा, दत्तक पुत्र इस बात पर राज़ी हो गया । कुछ दिनों बाद रामकरन ने उस जायदाद में से एक मकान अपने अधिकार से बेच डाला । तो दत्तक पुत्र को कुल जायदाद के वापिस लेनेका तथा उसे मंसूत्र कराने का दावा करने के लिये ६ सालकी मियाद उस वक्त से मिलेगी जिस वक्त उसे बदनीयती रामकरन की मालूम हुई ।
( ४ ) मियाद पहिले के क़ब्ज़े से शुरू होगी- जिस जायदाद के बारे में मुक़द्दमा दायर किया गया है सिर्फ उसी जायदाद में दखल देने के समय ही से मियाद शुरू नहीं होगी, बल्कि इसके पहिले किसी दूसरी जायदाद में जिसके क़ब्ज़े का हक़ बहैसियत दत्तक के बादी के पास हो अगर उसमें दखल दिया गया हो तो उस वक्त से शुरू होगी । अर्थात् दावाकी जायदाद में दखल देने से पहिले प्रतिवादीने अगर किसी दूसरी इसी तरह की जायदाद में भी दखल दिया हो तो सबसे पहिले जब दखल दिया गया होगा उस तारीख से इस दफा ११६ की मियाद शुरू होगी। देखो -- (1903) 13 M L. J. 145.
अग्रवाल वैश्यों की उत्पत्ति
अन्य लोगों की अपेक्षा अग्रवाल वैश्यों में गोदके मुकद्दमें अधिक होते हैं । जब कभी गोदके या उत्तराधिकारके मुकद्दमें में ऐसा प्रश्न उठे कि 'मुक़द्दमा कौन स्कूलसे लागू किया जाय ?" तो वनारस स्कूल ( दफा २५ ) मानने वाले पक्षकार की तरफसे निम्नलिखित मि० धमकी रिपोर्टका हवाला बहस ' में दिया जा सकता है । यह क्रम बतानेके लिये कि इनके पूर्वज बनारसेके धर्म शास्त्रका पहले से आदर करते रहे हैं और मानते रहे हैं किंतु पश्चकारको दफा ३०-३६ के अनुसार अपने मुकद्दमेंमें जैसी जरूरत हो नयी शहादत भी देना चाहिये । नयी शहादत और मि० ह्यमकी रिपोर्ट दोनों के एक ही तरह पर मिलने से पक्ष बहुत मजबूत हो जायगा यदि पक्षकार कोई दूसरा स्कूल बयान करें, तो उसे रिपोर्ट से कुछ सहायता नहीं मिलेगी । सेठ खेमराज श्रीकृष्णदास बनाम रमानिवास फर्स्ट अपील नं० २०९ सन १९१५ के मुकद्दमें में वादीकी तरफ से, बनारस स्कूल के समर्थन में, बम्बई हाईकोर्ट के सामने इस रिपोर्टका हवाला दिया गया था। चीफ जजने, यद्यपि मुकद्दमा दूसरी सूरतपर फैसल किया किंतु यह भी कहा कि मारवाड़ में कोई स्त्री बिना आज्ञा अपने पति के गोद नहीं ले सकती, यह बात बनारस स्कूलकी है ।