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नाबालिगी और वलायत
[पांचवां प्रकरण
--दफा ३५ जबकि वलीसे दस्तावेज़ लिखाई गई हो उस
__ समय उसके खिलाफ मुकद्दमें
जब अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किये हुए वलीसे इस बातके लिये कोई दस्तावेज़ लिखाई गई हो कि वह नाबालिराकी जायदादकी श्रामदनी का हिसाब ठीक ठीक देगा और कोई दूसरा आदमी इस बातकी दरख्वास्त देवे कि हिसाब ठीक नहीं रक्खा गया है और अदालतको इस बातका विश्वास होजावे कि दस्तावेजमें दीई शौकी पाबन्दी नहीं की गई है तो अदालतको अधिकार है कि वह उस दस्तावेजको किसी योग्य पुरुषके नाम करदेगी जिसको अधिकार होगाकि वह दस्तावेज़के ज़रिये नालिश उसी प्रकार दायर कर सके जैसेकि दस्तावेज़ शुरू हीमें बजाय जजके उसीके हक़में लिखी गई हो और वह व्यक्ति नाबालिगके टूस्टीकी हैसियतसे उस दस्तावेज़ द्वारा वलीके किये हुए नुक़सानकी बाबत नालिश कर सकेगा। अदालत किसी परुषके नाम दस्तावेज करते समय उससे जमानत मांग सकती है या यह हुक्म देसकती है कि रुपया वसूल होनेपर अदालतमें जमा किया जावेगाः-दफा ३६ जबकि वलीसे कोई दस्तावेज़ नहीं लिखाई गई
हो उस समय उसके खिलाफ मुक़द्दमें (१) जबकि अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित कियेहुए वलीसे कोई दस्तावेज़ न लिखाई गई हो उस सूरतमें भी कोई भी व्यक्ति नाबालिगका समीपी मित्र होने की हैसियतसे अदालतकी आज्ञा लेने के पश्चात् हर समय उस बीचमें जब कि नाबालिगी समाप्त न हुई हो उन शर्तों के साथ जैसीकि ऊपर दीजाचुकी हैं वली या उसके उत्तराधिकारियोंके विरुद्ध हिसाबका दावा उस जायदादके निस्वत दायरकर सकता है जो उस वलीने नाबालिगके लिये उसकी नाबालिग्रीमें बहैसियत वलीके पाईहो और वह व्यक्ति नाबालिग के ट्रस्टीकी हैसियतसे वली या उसके उत्तराधिकारीसे नाबालिगका जो रुपया निकलताहो बज़ीरये नालिश वसूल करसकता है।
(२) इस दफाकी पहिली उप दफा ३६ (१) में दिये हुए उन नियमों का प्रयोग जो वलीके विरुद्ध दावा दायर करने के सम्बन्धमें है ज़ाबतादीवानी की दफा ४४० के अनुसार किया जावेगा जैसाकि वह इस एक्ट द्वारा संशोधित हुआ है। -दफा ३७ ट्रस्टीकी हैसियतसे वलीका उत्तर दायित्व
नाबालिग या उसके उत्तराधिकारीको वली या उसके उत्तराधिकारीके विरुद्ध वही अधिकार रहेंगे जो ट्रस्टी या ट्रस्टीके उत्तराधिकारीसे दूस्टसे