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नाबालिगी और वलायत
[पांचवां प्रकरण
हितोंमें किसी प्रकारका अपना हित समझता है, तब केवल इस कारणसे कि वह बड़ा मुक़द्दमे बाज़ है उसकी वली मुकर्रर करनेकी अर्जी नहीं नामजूर की जासकती--सरवारूल मुल्क सरवारजंग बनाम मिरज़ा वजीर अली 12 0.L. J. 2813 20 W. N. 2463; 87 I.C.902 (2), A. I. R. 1925 Oudh. 398.
-गा० दफा १७-किसी नाबालिगकी जाती कानूनका उस वक्त कोई स्याल न किया जायगा, जिस वक्त कि उसकी भलाईका और कोई मार्ग बाकी न रह जायगा--गुन्ना बनाम दरगाही 28. 0. C. 172; 85 I. C. 6243 A. I. R. 1925 Oudh. 623.
-गा० दफा १७-(२)--हिन्दूला-दत्तक--गोद लेनेवाले पिताकी मृत्युके पश्चात्, नाबालिग़का असली पिता उसका वली नहीं मुकर्रर किया जासकता । असली पिताके वली मुकर्रर किये जानेपर इस बातका भय रहता है कि गोद लेने वाले पिताकी मंशा नाबालिग्न द्वारा न पूरी होसकेगी। यथा सम्भव उसी खान्दानका कोई आदमी, जिसमें कि वह गोद लिया गया है नियत किया जाना चाहिये, --इस प्रकारके मुक़द्दमे में गोदलेने वालेकी दादी नाबालिराकी वली मुकर्ररकी गई ।--मनमोहनी दासी बनाम हरि प्रसाद बोस, 4 Pat, 109; A. I. B. 1925 Patna. 444. . -गा० दफा १६-गार्जियन और वार्ड्स ऐक्टकी दफा १६ के अनुसार मनाही उन्हीं व्यक्तियोंके लिये नहीं है, जो पिता और पतिके अतिरिक्त हों-- परिणाम स्वरूप पिता भी अपने नाबालिग पुत्रका वली नहीं नियत किया जा सकता--लक्ष्मण रेड्डी बनाम वीरा रेड्डी 23 L. W. 213; A. I. R. 1925 Mad.1086.
-गा० दफा १६-बिना इस बातके विदित हुए कि पिता, नाबालिगका वली होनेके अयोग्य है, कानून आशा नहीं देती, कि कोई अन्य व्यक्ति वली नियत किया जाय ऐसी दशामें नाबालिग़की भलाईपर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये । फखरुद्दीनखां बनाम मुसलमान बीरो--27 Punj. L. R. 330.
-गा० दफा १६-एक्टके अनुसार किसी नाबालिगका पिता उसका वली नहीं मुकर्रर किया जासकता । वह अपने पुत्रका कुदरती वली होता है--मु० चन्द्र कुंवर बनाम छोटेलाल; A. I, R. 1925. Oudh 282. ( यह नियम केवल यूरोपियन वृटिश प्रजाके लिये है)
--गा० दफा १६--और २५--नाबालिराका पिता गार्जियन एण्ड वार्ड एक्ट के अनुसार उसका वली नहीं मुकर्रर होसकताः किन्तु बहैसियत कुदरती वलीके वह कार्यवाहीकर सकता है देखो एक्टकी दफा २५, 1925 Oudh.