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नाबालिग्री और वलायत
[पांचवां प्रकरण
का अधिकार था । अकाबाई बनाम नारायन 92 I. C. 36; A. I. R. 1926 Nag. 251.
- गा० दफा २५ - नाबालिग़को अपनी संरक्षामें लेनेके लिये यहश्रावश्यक है कि पहिले वली होनेकी सनद हासिलकी जाय - मु० चन्द्रा कुंवर बनाम छोटे लाल A. I. R. 1925 Oudh. 282.
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-- गा० दफा २५-- गार्जियन एण्ड वार्ड एक्टकी दफा २५ के नियमोंके अनुसार पिता अपने नाबालिग्रकी संरक्षाके लिये अर्ज़ी नहीं देसकता । वह इस प्रकारकी कार्यवाही के लिये मुक़द्दमा चला सकता है - मुं० चन्द्रा कुंवर बनाम छोटे लाल A. I. R. 1925 Oudh. 282.
- गा० दफा २५ – एक्टकी दफा २५ के अनुसार पिता उस सूरतमें भी अपने नाबालिका वली नहीं बनाया जासकता; जबकि नाबालिग उसकी संरक्षामें भी न हो --छोटे लाल बनाम चन्द्रा कुंवर AIR 1925 Oudh. 257 (1)
-- गा० दफा २५ - यद्यपि एक्टकी दफा १९ के नियमोंके अनुसार पिता अपने नाबालिका वली नहीं मुक़र्रर हो सकता, और इस बिनापर एक्टकी दफा १० के आधीन उसकी वलायतकी अर्जी क़ाबिले मंजूर नहीं होती,
हम बहैसियत कुदरती वलीके वह दफा २५ के अनुसार नाबालिग की संरक्षा की कार्यवाही कर सकता है - श्रहमद आगा बनाम मु० जोहरा बेगम 12 O. L. J. 441; 2 O. W. N. 242; 87 I. C. 1024; A. I. R. 1925 Oudh. 421.
- गा० दफा २५और १६ - दफा १६ की मनाही क्लाज़ ( अ ) में पति और (ब) में पिता अतिरिक्त और किसीकी नहीं है । अतएव कोई पिता अपने नाबालिराकी वलायत के लिये अर्ज़ी नहीं देसकता । किन्तु ऐसी अवस्था मैं, जब कि मुक़दमेके लिहाज़ से, नाबालिग़के लिये उसे पिताको वापस देना वाजिव समझा जाय, तो नाबालिग्रको, पिताको वापस देनेके हुक्म में कोई एतराज़ नहीं हो सकता - लक्ष्मन्ना रेड्डी बनाम अल्ला वरोरेड्डी 86 I. C. 957;
A. I. R. 1925 Mad. 1085.
- गा० दफा २५ - कोई भी नाबालिग अपने पिताकी संरक्षासे नहीं हटाया जासकता, या स्वयं अलाहिदा होसकता है । मातृपक्ष के सम्बन्धियोंकी संरक्षामें नाबालिग़के होनेकी सूरतमें, पिता अर्जी देसकता है - कुप्पाची राघवय्या बनाम एम० लक्ष्मय्या 48 M. L. J 179; 2 L. W. 244; 86I. C. 640; A. I, R. 1295 Mad. 398.
- गा० दफा २७ - नाबालिग़की बलायत- पिताका अधिकार - दूसरे वली की तबदीली - उठा देने योग्य अधिकार - अदालतका कर्तव्य - नाबालिग़की