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नाबालिग्री और वलांयत
[ पांचवां प्रकरणं
दिये हुये समयमें अपना वादा पूरा न कर सके तो अदालत उसे फिर पकड़वा सकती है व दीवानी जेलमें बन्द कर सकती है
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दफा ४६
कलक्टर तथा अन्य मातहत अदालतों की रिपोर्ट ( १ ) अदालतको अधिकार है कि वह कलक्टर से या अपने किसी दूसरी मातहत अदालतसे इस एक्टके किसी मामलेके लिये रिपोर्ट मांग सकती है और वह रिपोर्ट बतौर साक्षी के प्रयोग कर सकती है ।
(२) ऊपर कही हुई रिपोर्ट देनेके लिये कलक्टर या दूसरी मातहत अदालत जिससे कि रिपोर्ट मांगी गई हो जैसाकि उचित मालूम हो तहकीनात करेगी और उस तहकीक़ातमें जाबता दीवानी में दिये हुये नियमों के अनुसार गवाह व कागजातको तलब कर सकेगी ।
दफा ४७ वह हुक्म जिनकी अपील हो सकती है
अदालतके नीचे दिये हुये हुक्मोंकी अपील हाईकोर्ट में होगी:
(ए) दफा ७ के अनुसार वली नियुक्त या घोषित करने या नं करने में ।
(बी) दफा ६ ( ३ ) के अनुसार दरख्वास्त वापिस देने में । (सी) दफा २५ के अनुसार नाबालिग़को अपने वलीकी देख रेख में वापिस जाने या न जानेके हुक्म में ।
(डी) दफा २६ के अनुसार नाबालिएको अपने अधिकार सीमाले बाहर ले जानेकी स्वीकृत न देनेपर या उस स्वीकृतके साथ कुछ शर्तें के लगा देने पर ।
(ई) दफा २८ या २६ के अनुसार वलीको किसी काम करनेकीं आज्ञा न देने पर ।
(एफ) दफा ३८ के अनुसार वलीके अधिकार बतलाने, घटाने यां बढ़ाने में ।
( जी ) दफा ३१ के अनुसार वलीको हटानेमें ।
(एच) दफा ४० के अनुसार वलीको बरी न करने पर ।
( आई ) दफा ४३ के अनुसार वलीका वर्ताव या कार्यक्रम निर्धारित करने पर या संयुक्त वलियोंके आपस के झगड़े निपटानेपर (जे) दफा ४४ या ४५ के अनुसार दन्ड देने पर ।
दफा ४८ दूसरे हुक्मोंका अन्तिम हुक्म होना
ऊपर दी हुई दफा ४० में दिये हुये हुक्मोंको छोड़कर व जाबता दीवानी की पुरानी दफा ६२२ (अर्थात् दफा ११५ मौजूदा जाबता दीवानी) को मानते