________________
नाबालिग्री और वलायत
[पांचवां प्रकरण
किसी खास ज़रूरत के अचानक पापड़ने से ही काम ला सकता है। अगर जायदाद पर कोई खास दबाव पड़ा हो या कोई खतरा पैदा हुआ हो या जायदाद को कोई खास लाभ पहुंचता हो, और उस समय मेनेजर ने अपने अधिकार से काम लेकर पूरा किया हो, तो ऐसे हर मुकदमे में इन वातों का विचार किया जायगा । अदालत ने यह भी कहा कि जब कोई ऐसी सूरत में करज़ा देवे, तो करज़ा देने वाले को करज़ा लेने की ज़रूरत अच्छी तरह दरियाफ्त कर लेना चाहिये-और उसे अपने आपको पूरा इतमीनान कर लेना चाहिये कि मैनेजर जायदाद के फायदे के लिये क्या अच्छा काम कर रहा है? विशेष कर उस खास बात में जिस में कि वह नर्जा दे रहा है। अगर कर्जा देने वाला इतनी काफी पूंछ पांछ कर लेगा और ईमानदारी से बर्ताव करेगा तो उसे अपने कर्जे का बार साबित करने के लिये यह जरूरी नहीं होगा, कि वह रुपया जो उसने दिया था दरअसल किस काम में खर्च किया गया, तथा कोई विश्वास करने योग्य ज़रूरत श्री या नहीं। इसी तरह पर वह आदमी जो मनेजर से कोई चीज़ मोल लेवे तो उसे सिर्फ इतना साबित कर देना काफी होगा कि उसने इस बात की पूरी पूंछ .पांछ कर के अपने इतमामान करने योग्य बातें हासिल करली थीं कि वहां कोई जरूरत रुपया की है देखो-सुरेन्द्रो बनाम नन्दन ( 1874) 21 W. R. 196,
वलायत--माता द्वारा वलीकी हैसियतसे बयनामा कानूनी प्रावश्यकता-खरीदारका उज-शेख मुहम्मद बनाम रामचन्द्र 00 I. C. 74 (2). दफा ३४३ कर्जाकी ज़रूरत साफ लिखी जाना चाहिये
जब मनेजर किसी खास मतलब के लिये कोई कर्जा ले या रुपया के पाने की गरज़ से कोई चीज़ बेंचे, हर सूरत में जो दस्तावेज़ लिखी जाय उस में ज़रूरी है कि कर्जा या रुपया लेने की गरज़ साफ तौर पर लिखी जाय । केवल इतना लिखा जाना कि "जरूरत के लिये लिया गया" काफी नहीं माना जायगा, देखो-राजलक्ष्मी देवी बनाम गोकुलचन्द : Beng. L. R. (P. C. ) 57; 13 M. I. A. 209. . ज़रूरत कानूनी साबित करनेके लिये दूसरी शहादतकी ज़रूरत होगी, खाला प्रजलाल बनाम इन्द कुंवर ( 1914 ) 16 Bom. L. R 352.
अगर दस्तावेज़ बैनामा या तमस्सुक में ज़रूरत रुपया लेने की साफ तौर पर न लिखी गई हो तो, महज़ इस सबब से वह नाजायज़ नहीं हो जायगी क्यों कि दूसरी शहादत से उसे साबित कर सकते हैं। बमेश चन्द्र बनाम दिगम्बर 3 W. R. 154. ___नाबालिग का दीवालिया करार दिया जामा-यह फर्म जो किसी नाबालिरा और बालिगों के लाभ के लिये व्यवसाय करता हो कर्ज न चुकाने