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नाबालिगी और वलायत
[पांचवां प्रकरण
तीसरा प्रकरण वलीक कर्त्तव्य, उसके अधिकार तथा उसकी जिम्मेदारियां
-दफा २० वलीका नाबालिगके साथ विश्वासनीय सम्बन्ध
(१) वलीका सम्बन्ध अपने नाबालिगके साथ एक विश्वासनीय सम्बन्ध है इस लिये उसको अपने वलीके पदसे कोई लाभ न उठाना चाहिये वह उतना लाभ अवश्य उठा सकता है जो उसे वसीयतनामे या किसी दूसरी दस्तावेज़के ज़रिये जिसके द्वारा वह वली नियुक्त किया गया है प्राप्त हों।
(२) यदि वली अपने नाबालिगकी जायदादको मोल लेवे या नाबालिरा अपनी नाबालिगी समाप्त करनेपर या उसके बाद शीघ्र ही अपने वलीकी जायदाद खरीद करे तो ऐसी दशाओंमें वलीका नाबालिग़के साथ विश्वासनीय सम्बन्ध समझा जावेगा और ऊपर कहे हुए खरीद फरोख्तका होना भी इसी सम्बन्धके कारण माना जावेगा और अधिकतर वह सब सौदे इसी सम्बन्धके कारण समझे जायेंगे जो नाबालिग़की अवधिमें या उसके समीप वली और नाबालिग़के बीचमें होंगे। -दफा २१ नाबालिगोंका वली बननेके लिये अधिकार
नाबालिग़को केवल अपनी ही स्त्री या बच्चेका घली बननेका अधिकार है वह किसी दूसरे नाबालिग़का वली नहीं बन सकता है। यदि कोई नाबा. लिग़ अविभक्त हिन्दू परिवारका प्रवन्धकर्ता है तो उसे अपने परिवारके किसी नाबालिग व्यक्तिकी स्त्री तथा बच्चेके वली बननेका अधिकार होगा। -दफा २२ वलीका भत्ता
(१) यदि वली अदालत द्वारा नियुक्त या घोषित किया गया हो तो वह उस भत्तेके पानेका अधिकारी होगा जो अदालत उसके कामके लिये दिलाना उचित समझे।
, (२) जबकि कोई सरकारी अफसर अपने ओहदेके कारण वली . नियुक्त या घोषित किया जावे तो यह भत्ता नाबालिराकी जायदादसे सरकार
को अदा किया जावेगा, जैसाकि प्रान्तिक सरकार साधारण या विशेष साक्षा द्वारा निर्धारित करेगी।