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दफा ३३८-३४२ ]
नाबालिग्री और वलायत
हैं। बाबू कालीदत्त ईसाई होगये तो अब वह न तो वरासत अपने भाइयों की, या अन्य किसी की पा सकते हैं, और न अपने हिस्से के बटा पाने का दावा कर सकते हैं, नतीजा यह हुआ कि उनका जो पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा था उससे वह बेदखल होगये ।
दफा ३४० अनौरस पुत्रका वली कौन होगा
अनौरस पुत्र का अर्थ है जो असली लड़का न हो। ऐसे लड़के की मा उसकी कुदरती वली है । मगर जब माने श्राज्ञादी होकि लड़का उसके पाससे अलहदा कर लिया आय, तथा बाप या उसके नियत किये हुए किसी आदमी के ज़रिये से उस लड़के की परवरिश कराई जाय तो उसके (मा) अधिकार के बारे में अदालत यह मानेगी कि अब मा का हक़ उस लड़के पर बाक़ी नहीं रहा, देखो - लालदास बनाम निकुन्ज 4 Cal 374; 19 Mad. 461; मा के नियत किये हुये वली के बारे में प्रायः कोई आपति नहीं की जायगी, ऐसे पुत्रकी कुदरती वली मा होती है, 12 Mad. 67, 68, 16 Bom. 307, 317. दफा ३४१ दत्तकपुत्रका वली कौन होगा
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जब दत्तक उसके असली मा बाप ने दे दिया हो तो असली मा बाप फिर दत्तक पुत्र के वली नहीं रहते । दत्तक पुत्र का वली गोद लेने वाला पिता या माता होती है, श्रीनरायन बनाम कृष्ण 11 Beng. L. R. 171; 191 I. A. Sup. Vol. 149, 163; लक्ष्मी बाई बनाम श्रीधर 3 Bom. 1. निर्विनय बनाम निर्विनय 9 Bom. 365,
दफा ३४२ कुदरती वलीका अधिकार
कुदरती वली बाप या मा कुल जायदाद का इन्तज़ाम करते समय जायदाद के लाभ के लिये अथवा अन्य किसी खास ज़रूरत के लिये जायदाद का कोई हिस्सा बेच सकते हैं और रेहन ( गिरौं ) कर सकते हैं; नज़ीरें देखो हनुमान प्रसाद बनाम मुसम्मात बबुई ( 1856 ) 6 Mad 1 A 393 देखो माने रेहन करदिया था - महानन्द बनाम नाफुर ( 1899 ) 26 Cal. 820 दादीने बेंच डाला था - सुन्दर नरायन बनाम बिनन्दराम 4 Cal. 76. माने बॅच डाला था - बेशीधर बनाम बिन्देश्वरी 10M. I. A. 454, वलीने बिला किसी ज़रूरत के - - मुरारी बनाम व्याना 20 Bom. 286; माने बेंच डाला था ।
क़रज़ा देने वाले और खरीदने वाले पर फ़र्ज़ - ऊपर की सब नज़ोरों में हनुमान प्रसाद बनाम बबुई 6 Mad. I. A. 393; का केस उल्लेख योग्य है । इस केस में अदालत हाईकोर्ट ने फरमाया कि हिन्दूलों में एक अज्ञान बालक की जायदाद में मेनेजर का अधिकार महदूद है, वह अपने अधिकार को