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नाबालिगी और वलायत
[पांचवां प्रकरण
बनाम अब्दुलसालेम 12Cal 55; गोरधनदास बनाम हरिबल्लभदास 21 Bom. 281; ज्वालादेबी बनाम पराभुव 14 All. 35.
जब किसी अज्ञान की जायदाद पर क़ब्ज़ा कोर्ट आफ् वार्डस् का हो गया हो तो उसकी अज्ञानता उस वक्त तक रहतीहै जब तक उसकी जायदाद पर दखल कोर्ट आफ् वार्डस् का बना रहता है पश्चात् नहीं रहती। मगर अज्ञान को कोर्ट आफ्वार्डसू के ताबे रहने पर भी उसे यह कानून विवाह दहेज, उत्तराधिकार और दत्तक के लिये पाबन्द नहीं करताः देखो-ब्रजमोहन लाल बनाम रुद्रप्रकाश 17 Cal. 244. दफा ३२४ बली होनेका अधिकारी कौन है
(१) बाप। (२) मा । कुदरता चला है।
५} कुदरती वली हैं। (३) बापने जिसको अपनी वसीयतके द्वारा नियत किया हो। (४) बापकी तरफ के रिश्तेदार । (५) माकी तरफ के रिश्तेदार। (६) जिसे कोर्ट ने एक्ट नम्बर ८ सन् १८६० ई० के अनुसार नियत
किया हो, या हाईकोर्ट ने । अज्ञान के शरीर और उसकी जायदाद की रक्षा के अधिकारी ऊपर के लोग अपने पदाधिकार के क्रम से होते हैं। यानी नं० १ के बाद २ और नं० २ के बाद ३ एवं ।
विवाहिता बहन-हिन्दूला के अनुसार विवाहिता बहन, अपनी अविवाहिता बहन की वली नहीं हो सकती । पञ्जाबराव बनाम आत्माराम, 87 L. C. 1018. विवाहिता बहन, अपनी बहन की वली नहीं होगी A. I.. R. 1926 Nag. 179.
__माता का अधिकार-हिन्दू माता अपने नाबालिग पुत्रों की कानूनी वली है जब कि वे अपनी जायदाद के पूर्ण अधिकारी हों-शाम पुरी बनाम रामचन्द्र, 88 I.C. 2683; A. I. R. 1925 Nag. 385. किसी हिन्द की मृत्यु पर, जो.नाबालिग पुत्र और पृथक जायदाद छोड़ कर मरा हो, तो जायदाद के सम्बन्ध में नाबालिगों की माता उनकी प्राकृतिक वली है। स्वार्थ राम बनाम राम बल्लभ 47 All. 784; 23 A. L. J. 625; L. R. 6 All. 465 (C. W.); 89 I. C. 27; A. I. R. 1925 All. 595. दफा ३२५ रिश्तेदारको वली होनेका पूर्ण अधिकार नहीं है
सिवाय बाप और माके, किसी रिश्तेदारको अज्ञानका वली बननेके लिये पूरा अधिकार नहीं है। यानी जब बाप और मा नहीं हैं, और बापकी तरफ